उन्होंने कहा कि दो मानव रहित मिशन पूरा करने के बाद इसरो के पास तीन अंतरिक्ष यात्रियों के साथ मानव युक्त मिशन भेजने के लिए पर्याप्त समय रहेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के मुताबिक आजादी के 75 वीं वर्षगांठ पर वर्ष 2022 तक यह मिशन भेजा जाना है लेकिन इसरो दिसम्बर 2021 तक ही मानव मिशन भेजने का लक्ष्य रखा है जो कि और अधिक महत्वाकांक्षी है।
इसरो अध्यक्ष ने कहा ‘हमने मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम (एचएसपी) के लिए वर्ष 2021 का ही लक्ष्य रखा है ताकि अगर कहीं कोई तकनीकी अवरोध आता है तो उसे वर्ष 2022 तक दूर कर लिया जाए। इससे उनके पास समय का अधिक समय रहेगा। इससे पहले कई तकनीकी परीक्षण किए जाएंगे जिसमें दो मानव रहित मिशन (दिसम्बर 2020 और जून 2021), उड़ान अवस्था में कू्र एस्केप सिस्टम आदि का परीक्षण करना होगा।Ó
इसके अतिरिक्त इस परियोजना के लिए इसरो को कई अन्य तकनीक जैसे क्रू सपोर्ट सिस्टम, सर्विस मॉड्यूल और आर्बिटल मॉड्यूल आदि तैयार करने होंगे।
इसके अतिरिक्त इस परियोजना के लिए इसरो को कई अन्य तकनीक जैसे क्रू सपोर्ट सिस्टम, सर्विस मॉड्यूल और आर्बिटल मॉड्यूल आदि तैयार करने होंगे।
इसरो के पास जो तकनीक है उसके अनुसार तीन अंतरिक्ष यात्रियों को इस मिशन पर 7 दिन के लिए भेजा जा सकता है लेकिन इस पर अंतिम निर्णय मिशन के करीब आने पर ही लिया जाएगा। इसरो ने गगनयान मिशन के लिए कई तकनीकों का विकास किया है लेकिन इस बेहद चुनौतीपूर्ण मिशन के लिए कई परीक्षण अभी किए जाने हैं। मिशन की जटिलता को देखते हुए अंतरिक्ष यात्रियों और दिनों की संख्या में कमी की जा सकती है। अंतरिक्ष यात्रियों के चुनाव पर उन्होंने कहा कि इसके लिए वायुसेना के साथ अनौपचारिक रूप से बातचीत शुरू हुई है। अंतरिक्ष यात्रियों का चयन कई मानदंडों पर किया जाएगा। शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ्य व्यक्ति को ही इस मिशन पर भेजा जा सकता है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष यात्रियों के चयन के बाद उन्हें प्रशिक्षित करना होगा। इस मिशन में देश के प्रथम अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा की भी मदद ली जाएगी।
निजी क्षेत्र की भी अहम भूमिका होगी
पूरे मिशन में निजी क्षेत्र की भी अहम भूमिका होगी। गगनयान मिशन के लिए बड़े पैमाने पर बुनियादी सुविधाएं तैयार करनी होगी जैसे मिशन कंट्रोल, ट्रैकिंग सेंटर आदि। इसमें निजी क्षेत्र अहम भूमिका निभाएंगे। उन्हें उम्मीद है कि निजी क्षेत्र समय पर आवश्यक उपकरणों की आपूूर्ति करने में सफल होंगे। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित करने के लिए किस देश की सहयोग लिया जाएगा इसपर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है। इसमें रुस, जर्मनी, या अमरीका की मदद ली जा सकती है।
पूरे मिशन में निजी क्षेत्र की भी अहम भूमिका होगी। गगनयान मिशन के लिए बड़े पैमाने पर बुनियादी सुविधाएं तैयार करनी होगी जैसे मिशन कंट्रोल, ट्रैकिंग सेंटर आदि। इसमें निजी क्षेत्र अहम भूमिका निभाएंगे। उन्हें उम्मीद है कि निजी क्षेत्र समय पर आवश्यक उपकरणों की आपूूर्ति करने में सफल होंगे। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित करने के लिए किस देश की सहयोग लिया जाएगा इसपर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है। इसमें रुस, जर्मनी, या अमरीका की मदद ली जा सकती है।
फिलहाल देश में अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित करने के लिए पर्याप्त बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। अंतरिक्ष यात्रियों के चयन के बाद उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए दो से तीन साल का समय लगेगा। एक सवाल के जवाब में इसरो अध्यक्ष ने मजाकिया लहजे में कहा कि ‘सैद्धांतिक रूप से कोई भी अंतरिक्ष में जा सकता है, इसपर कोई प्रतिबंध नहीं है।’