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मानव मिशन पर जल्द सौंपी जाएगी परियोजना रिपोर्ट

locationबैंगलोरPublished: Aug 17, 2018 06:40:51 pm

Submitted by:

Rajeev Mishra

-एक सप्ताह का होगा मानव मिशन, 350-400 किमी ऊंचाई वाली कक्षा में भेजे जाएंगे अंतरिक्ष यात्री

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मानव मिशन पर जल्द सौंपी जाएगी परियोजना रिपोर्ट

बेंगलूरु. वर्ष 2022 तक अंतिरक्ष में मानव मिशन भेजने की तैयारी कर रहा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) जल्द ही परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप देगा। केंद्र सरकार ने अभी मानव मिशन को मंजूरी नहीं दी है लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के 75 वें वर्ष में 2022 तक मानव मिशन लांच करने की घोषणा की है।
इसरो अध्यक्ष के.शिवन के मुताबिक मानव मिशन से जुड़ी तकनीक इसरो के लिए अनजान नहीं हंै। काफी तकनीकों का परीक्षण किया जा चुका है और बाकी परीक्षण चल रहे हैं। यह ऐसा मिशन नहीं है जिसे इसरो शून्य से शुरू कर रहा है। लेकिन, परियोजना को अभी मंजूरी नहीं मिली है। लगभग 10 हजार करोड़ की इस परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट एक महीने के भीतर सरकार कौ सौंप दी जाएगी। हालांकि, इस मिशन पर वर्ष 2004 में ही प्रस्ताव आया था लेकिन व्यापक समीक्षा के बाद नई रिपोर्ट जल्द ही तैयार हो जाएगी। सरकार से मंजूरी के बाद ही परियोजना के लिए राशि आवंटित होगी। अभी मानव मिशन से जुड़े तकनीकों के परीक्षण के लिए अलग से राशि केंद्र की ओर से नहीं जारी की गई है। हाल ही इसरो ने ‘कू्र एस्केप सिस्टमÓ का परीक्षण किया जो आपात स्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों को ले जा रहे कू्र मॉड्यूल को रॉकेट से अलग कर सुरक्षित निकालने की तकनीक है।
इसरो अध्यक्ष ने कहा कि भारत अपने मानव मिशन के तहत दो अंतरिक्ष यात्रियों को 7 दिन के लिए अंतरिक्ष में भेजेगा। इसके लिए जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट का चुनाव किया गया है। हालांकि, जीएसएलवी मार्क-3 की सिर्फ एक ही सफल उड़ान हुई है और मानव मिशन के लिए योग्यता हासिल करने से पहले इस रॉकेट को कम से कम 10 सफल उड़ान भरकर अपनी विश्वसनीयता साबित करनी होगी। इसरो अध्यक्ष ने विश्वास जताया कि जब मानव मिशन लांच किया जाएगा तब तक जीएसएलवी मार्क-3 की 10 से 15 उड़ानें पूरी हो जाएंगी। जीएसएलवी मार्क-3 इसरो द्वारा विकसित सबसे भारी रॉकेट है जो 10 हजार किलोग्राम वजनी पे-लोड को अंतरिक्ष की निचली कक्षा में छोडऩे की योग्यता रखता है। यह रॉकेट अंतरिक्ष यात्रियों को धरती से 350 से 400 किलोमीटर वाली कक्षा में ले जाएगा जहां अंतरिक्ष यात्री 7 दिन गुजारेंगे।
हालांकि, अंतरिक्ष यात्रियों के उड़ान भरने से पहले कम से कम दो मानव रहित मिशन भेजकर सफलतापूर्वक उन्हें धरती पर उतारना होगा। इसरो ने मानव मिशन से जुड़ी तकनीकों को अलग-अलग परीक्षण किया है। पहले सभी तकनीकों को एक साथ इंटीग्रेट कर एक पूर्ण परीक्षण करना होगा जिसके बाद दो मानव रहित मिशन भेजे जाएंगे। फिर मानव मिशन भेजा जाएगा। इसरो जल्दी ही इसके लिए एक टीम तैयार करेगी। मानव मिशन की टीम तैयार करने के साथ ही वैसी बाहरी एजेंसियां जो इस मिशन में सहयोग कर सकती है उनका चुनाव किया जाएगा। इस मिशन से लगभग 15 हजार नए रोजगार सृजित होने की उम्मीद है। जहां तक अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण का सवाल है तो इसके लिए बेंगलूरु स्थित एयरोस्पेस मेडिसिन के संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं। हालांकि, इसरो सूत्रों के अनुसार अमरीका और रूस के पास अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित करने के लिए पर्याप्त बुनियादी सुविधाएं हैं। भारत उनका भी सहयोग ले सकता है।
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