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बैंगलोर

कर्नाटक में कोरोना से मृत महिला की फोटो खींची तो पता चला कि सच्चाई कुछ और थी

मरीज के साथ हुआ ऐसा, यकीन करना मुश्किल

बैंगलोरApr 20, 2021 / 07:11 pm

Santosh kumar Pandey

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बेंगलूरु. राज्य में एक ओर कोविड मरीजों की संख्या बढऩे के कारण लोग परेशान हैं वहीं कोविड मरीजों को लेकर एक विचित्र घटना सामने आई है। राज राजेश्वरी मेडिकल कॉलेज में कोविड-19 (Covid-19) से एक महिला की मृत्यु के बाद अस्पताल वालों ने परिजनों को गलत शव और मृत्यु प्रमाण पत्र दे दिया।
परिवार के सदस्यों के अनुसार यलहंका निवासी जयलक्ष्मीमा कुछ दिनों से अस्वस्थ थीं और कोविड के परीक्षण के बाद राजराजेश्वरी अस्पताल में स्थानांतरित किए जाने से पहले उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
महिला के छोटे भाई रामू ने बताया कि हम उसे रविवार शाम राजराजेश्वरी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल ले गए। चूंकि वह कोविड -19 पॉजिटिव थी, इसलिए हमें बताया गया कि परिवार के सदस्यों को रोगी के साथ रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी। सोमवार को लगभग 3.15 बजे हमें एक कॉल आया जिसमें हमें सूचित किया गया कि मेरी बहन का निधन हो गया है।
परिवार के लोग सुबह 8 बजे के आसपास अस्पताल पहुंचे और मोर्चरी में गए जहां शव को रखा गया था। रामू ने कहा कि अस्पताल ने हमें एक मृत्यु प्रमाणपत्र भी दिया। चूंकि यह एक कोविड का मामला था, इसलिए शरीर को पीपीई में लपेटा गया था। जयलक्ष्मी के बेटे नहीं आ सके लेकिन वे चाहते थे कि हम उनकी एक अंतिम तस्वीर साझा करें। हमने जैसे ही फोटो लेने की कोशिश की हम दंग रहे गए क्योंकि वह शरीर मेरी बहन का नहीं था।
उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद हमें यह यकीन करना मुश्किल हो रहा था कि हमारी बहन मर गई है। हमें लगा कि अस्पताल के अधिकारी हमसे झूठ बोल रहे हैं।

दो घंटे बाद मिला महिला का शव
एक अन्य रिश्तेदार नगम्मा कहती हैं कि इसके बाद हम अस्पताल के कर्मचारियों से उलझने लगे लेकिन उन्होंने हमें दो घंटे बाद वापस आने के लिए कहा। दो घंटे के बाद, शव हमें सौंप दिया गया। वे कहती हैं यदि हमने जांच नहीं की होती तो क्या होता।
एम्बुलेंस ने वसूले 8,000 रुपए

रामू ने कहा कि एंबुलेंस मोटी फीस वसूल रही हैं। हमें शव को श्मशान ले जाने के लिए 8,000 रुपये देने पड़े। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोग इस स्थिति में क्या करेंगे। सरकार को इस मामले को देखना चाहिए।
अस्पताल ने स्वीकार किया कि चूक हुई थी

राजराजेश्वरी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रिंसिपल डॉ. नवीन शिवप्पा ने स्वीकार किया कि त्रुटि हुई थी। उन्होंने कहा कि अस्पताल में 6-7 घंटे में चार मौतें हुईं। उन्होंने कहा कि हमने जांच शुरू कर दी है और जांच कर रहे हैं कि यह गलती कैसे हुई।
अस्पताल में कर्मचारियों की कमी

डॉ. शिवप्पा के अनुसार अस्पताल को कर्मचारियों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि हाल ही में लगभग 20 प्रतिशत कर्मचारियों ने काम छोड़ दिया था। हर दिन, लगभग 40 कोविड रोगियों को यहां लाया जा रहा है। स्थिति को देखते हुए हम अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 20 मिनट में शव को परिवार को सौंप दिया गया था।
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