जैन शासन की तुलना में कोई नहीं आ सकता। बेजोड़ जैन धर्म के मुकाबले में कोई चुनौती नहीं दे सकता, क्योंकि केवल ज्ञान प्राप्ति के पश्चात ही शासन की स्थापना की गई है। उन्होंने कहा कि केवलज्ञान यानी संपूर्ण ज्ञान, तीनों काल का हर एक पर्याय का ज्ञान, जीव हो या जड़ सबका ज्ञान केवल ज्ञानी को होता है। यही वजह है कि कोई विज्ञानी भी चुनौती नहीं दे सकता। प्रत्येक संशोधन की जड़ जैन आगमों और जैन शास्त्रों से ही है। लेकिन पाप कराने वाले लोगों की बात जैन शास्त्र या जैन साधु नहीं बताते।
कारण आखिरकार पाप ही तो दुख देने वाला होता है। यह बात कभी भूलनी नहीं चाहिए, पुण्य से सब कुछ मिलता है। गुरु वही है जो अज्ञानता के अंधकार से उबारते हैं।