उन्होंने कहा कि इस संशोधन को निरस्त करने की मांग को लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री को खत लिखा है। कृषि तथा किसानों के लिए घातक संशोधन लाने से पहले राज्य सरकार ने किसी के साथ संवाद तक नहीं किया है। राजस्व मंत्री इस संशोधन के लिए अध्यादेश जारी करने का बयान दे रहें है। कृषि भूमि का अस्तित्व बना रहें इसी उद्देश्य को लेकर कर्नाटक भूमि सूधार कानून में धारा 79 ए तथा बी को शामिल किया गया था।
उन्होंने कहा कि अब प्रस्तावित संशोधन के तहत यह महत्वपूर्ण धाराएं हटाएं जाने पर संपन्न लोग बडे पैमाने पर कृषि भूमि खरीदेंगे। कृषि भूमि कम होने के बाद खाद्यान्न के उत्पादन में गिरावट होना तय है। लेकिन राज्य सरकार इस संभाव्य परिणाम की अनदेखी कर रही है।जनता दल एस इस संशोधन का पूरजोर विरोध करेगा।