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सौरमंडल के निर्माण अवस्था के नमूने लाएगा जापानी मिशन

locationबैंगलोरPublished: Sep 30, 2018 01:09:10 pm

Submitted by:

Rajeev Mishra

लघु ग्रह रियुगु पर रोवर उतारने के बाद अहम अध्ययन शुरूसौरमंडल के रहस्यों से उठेगा पर्दा

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सौरमंडल के निर्माण अवस्था के नमूने लाएगा जापानी मिशन

बेंगलूरु. जापान की अंतरिक्ष एजेंसी (जाक्सा) का हायाबूसा-2 मिशन कामयाब हो गया है। यह एक लघु ग्रह से नमूना वापस लाने का अनूठा मिशन है जिससे सौरमंडल के कई रहस्यों से पर्दा उठने की उम्मीद है।
भारतीय ताराभौतिकी संस्थान के प्रोफेसर (सेनि) रमेश कपूर ने बताया कि जापान का मिशन जिस लघु ग्रह रियुगु पर भेजा गया है वह एक पृथ्वी निकट लघु ग्रह है। यह कार्बोनेशियस संरचना का लघु ग्रह है जिसका अर्थ है इसमें सौरमंडल के निर्माण अवस्था का पदार्थ सुरक्षित है। यह लघु ग्रह बहुत छोटा है। इसका आकार लगभग 1 किलोमीटर होगा। इसलिए इसकी सतह पर गुरुत्व बल पृथ्वी के मुकाबले बेहद कमजोर है। इस लघु ग्रह से नमूने एकत्रित करने के लिए जापान ने अपना यान 3 दिसम्बर 2014 को था। पिछले 27 जून को यह अपने मुकाम यानी, लघु ग्रह रियुगु की कक्षा में जा पहुंचा। इसके साथ ही लघु ग्रह के सर्वेक्षण का डेढ़ साल का कार्यक्रम शुरू हो गया।
सर्वेक्षण पूरा हो जाने पर दिसम्बर 2019 में यह पृथ्वी की ओर वापस रवाना हो जाएगा। इसके पृथ्वी पर दिसम्बर 2020 में लौट आने का कार्यक्रम तय है। लघु ग्रह के सर्वेक्षण के दौरान इस यान को अनेक महत्वपूर्ण कार्य करने हैं। उनमें से प्रमुख है लघु ग्रह की सतह पर रोबोटिक रोवर का गिराया जाना। यह रोवर बिना पहियों के हैं और छोटे-छोटे डग भरते हुए (कूदते हुए) लघु ग्रह की सतह पर आसपास के इलाके की खोजबीन करेंगे। इन्हें 60 मीटर की ऊंचाई से अलग-अलग समय पर गिराया जाना है। यान का रोवर 1 ए और 1 बी प्रत्येक 1.1 किलोग्राम भार का है। इन्हें 21 सितम्बर 2018 को लघु ग्रह पर गिराया गया था। इनमें वाइड एंगल कैमरा, स्टीरियो कैमरा और थर्मामीटर लगे हैं। इस यान ने लघु ग्रह के बेहद साफ चित्र भेजे हैं। जिनसे पता चलता है कि यह लघु ग्रह गड्ढों से भरे हैं। तीसरा रोवर नेसकॉट 9.6 किलोग्राम का है इसे 3 अक्टूबर को गिराया जाना है। यह रोवर कैमरा, इंफ्रारेड वर्णक्रम मापी, चुम्बकत्व मापी और रेडियोमीटर से सुसज्जित है। चौथा रोवर 2019 में इसकी सतह पर गिराया जाएगा।
हायाबूसा यान लघु ग्रह की सतह से तीन नमूने एकत्रित करेगा। इन्हें अलग-अलग डिब्बियों में सुरक्षित कर सैंपल रिटर्न कैप्सूल में बंद कर दिया जाएगा। यदि हर नमूना 0.1 ग्राम का भी हो तो बहुत होगा यद्यपि इसकी क्षमता 10 ग्राम तक नमूने लोन की है। यह सैंपल लघु ग्रह के जमीनी मिट्टी के होंगे किंतु इनमें कुछ भी नमी और कार्बनिक पदार्थ के चिन्ह मिले तो वह एक महत्वपूर्ण खोज होगी। नमूने खुरचने का कार्यक्रम अक्टूबर के आखिरी दिनों में होगा। तब यान लघु ग्रह के सतह से बेहद नजदीक से होकर गुजरेगा। यान में एक सैंपल हॉर्न है। इसके सतह से छूते ही 300 मीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से एक गोली चलाई जाएगी। इससे उड़े पदार्थ को ही सैंपल के रूप में भर लिया जाएगा। हालांकि, यह सब आश्चर्यजनक लगता है कि पृथ्वी पर बैठे-बैठे यह सारी योजना अंजाम तक कैसे पहुंचेगी।
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