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जेएनसी विवाद: विवाद के एक दिन बाद छात्राओं का मौन प्रदर्शन

locationबैंगलोरPublished: Jan 10, 2020 05:04:21 pm

Submitted by:

Saurabh Tiwari

राजनीतिक पारा चढ़ा, सीएम ने कहा मामले की जांच कराएंगे

जेएनसी विवाद: विवाद के एक दिन बाद छात्राओं का मौन प्रदर्शन

जेएनसी विवाद: विवाद के एक दिन बाद छात्राओं का मौन प्रदर्शन

बेंगलूरु. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के समर्थन में हस्ताक्षर अभियान को लेकर एक महिला कॉलेज में छात्राओं और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच हुए विवाद के एक दिन बाद गुरुवार को छात्राओं ने कॉलेज के सामने मौन प्रदर्शन किया। पुलिस ने बुधवार की घटना को देखते हुए गुरुवार को कोरमंगला स्थित ज्योति निवास कॉलेज (जेएनसी) परिसर में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया था।
उधर, जेएनसी मामले को लेकर राजनीति भी गरमा गई। मुख्यमंत्री बीएस येडियूरप्पा और गृह मंत्री बसवराज बोम्मई ने मामले की जांच कराने की बात कही लेकिन विपक्ष इसे लेकर सरकार पर हमलावर रहा। विपक्षी के नेताओं ने कॉलेज का दौरा करने के साथ ही सत्तारुढ़ भाजपा पर निशाना साधा जबकि भाजपा नेताओं ने उपमुख्यमंत्री डॉ सीएन अश्वथ नारायण को ज्ञापन देकर शिक्षण संस्थानों को राजनीति का केंद्र बनाए जाने पर रोक लगाने की मांग की।
विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धरामय्या ने मुख्यमंत्री बीएस येडियूरप्पा को अपने पार्टी के उपद्रवियों को नियंत्रित करने की नसीहत दी तो उच्च शिक्षा विभाग का दायित्व संभाल रहे उपमुख्यमंत्री अश्वथ ने पलटवार करते हुए कहा कि छात्राओं को भाजपा कार्यकर्ताओं से सीधे सवाल पूछने का हक किसने दिया।
गौरतलब है कि बुधवार शाम में सीएए के समर्थन में हस्ताक्षर अभियान के दौरान भारतीय जनता युवा मोर्चा और जेएनसी की छात्राओं के बीच विवाद हो गया था। भाजयुमो कार्यकर्ताओं ने कॉलेज की दीवार पर सीएए के समर्थन में बैनर लगाया था और उस पर वहां से गुजरने वाले लोगों और छात्राओं से हस्ताक्षर करने के लिए कह रहे थे। कुछ छात्राओं ने जब कॉलेज की दीवार पर पोस्टर लगाने को लेकर सवाल उठाए तो दोनों पक्षों के बीच काफी तीखी नोक-झोंक हो गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने दखल देकर हालात को संभाला। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद इसे लेकर गुरुवार को राजनीति गरमा गई।
पुलिस स्वत: संज्ञान से दर्ज नहीं करेगी मामला
घटना के खिलाफ जेनएसी की छात्राओं ने गुरुवार दोपहर कॉलेज के सामने मौन प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी छात्राओं ने तख्तियां थाम रखी थीं। गुरुवार सुबह पुलिस उपायुक्त (दक्षिण-पूर्व) ईशा पंत ने भी कॉलेज का दौरा किया। बाद में उन्होंने कहा कि हमने घटना के बारे में जानकारी ली। सबकुछ सामान्य है और कॉलेज भी आम दिनों की तरह चल रहा है। उन्होंने कहा कि यह संज्ञेय मामला नहीं है इसलिए पुलिस स्वत: संज्ञान से मामला दर्ज नहीं करेगी। कॉलेज प्रशासन के शिकायत करने पर मामला दर्ज किया जाएगा।
विपक्षी नेता भी पहुंचे कॉलेज
गुरुवार को पूर्व गृह मंत्री आर. रामलिंगा रेड्डी और पूर्व महापौर मंजुनाथ रेड्डी ने भी कॉलेज का दौरान किया। रामलिंगा रेड्डी ने कहा कि कॉलेज प्रदर्शन स्थल नहीं है। सीएए के समर्थन या विरोध में हस्ताक्षर अभियान कॉलेज परिसर के बाहर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम जेएनसी को दिल्ली का जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) नहीं बनने देेंगे। पुलिस को अप्रिय घटनाओं को रोकने के लिए एहतियात बरतना चाहिए। बोम्मई ने रामलिंगा रेड्डी पर मामले के राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया।
येडि कार्यकर्ताओं पर नियंत्रण रखें: सिद्धू
पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने घटना को लेकर भाजपा सरकार को घेरते हुए कहा कि मुख्यमंत्री येडियूरप्पा को अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं को नियंत्रित कर दिया। सिद्धू ने ट्वीट कर भाजपा कार्यकर्ताओं पर छात्राओं को धमकाने का आरोप लगाते हुए कहा कि वे अपने स्वार्थी उद्देश्य के लिए ज्ञान और संस्थानों को नष्ट नहीं करें। हुब्बल्ली में संवाददाताओं से बातचीत में सिद्धू ने कहा कि देश में अब लोकतंत्र जैसा कुछ नहीं है। संविधान में दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करने की कोशिश की जा रही है। देश में भय का माहौल बनाया जा रहा है। सिद्धू ने कहा कि जेएनयू की घटना सरकार प्रायोजित थी। उन्होंने सवाल किया कि अभी तक इस मामले में किसी की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई।
उपमुख्यमंत्री का अजीब सवाल: किसने दिया सवाल पूछने का हक

उपमुख्यमंत्री अश्वथ नारायण ने सीएए पर गुरुवार को हुए जेएनसी विवाद पर कहा कि विद्यार्थियों को रिाजनीतिक कार्यकर्ताओं से सीधे सवाल पूछने का हक किसने दिया। उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद यह बात कही। प्रतिनिधिमंडल ने अश्वथ को ज्ञापन देकर शिक्षण संस्थानों के राजनीतिक उपयोग पर रोक लगाने की मांग की थी। जेएनसी में भाजपा कार्यकर्ताओं और छात्राओं के बीच हुई बहस पर अश्वथ ने कहा कि स्मार्ट लोग आमतौर पर तर्कों से बचते हैं। फिर उन्होंने कहा कि जब भाजपा के कार्यकर्ता देश के इस कानून के बारे में जन जागरूकता पैदा कर रहे हैं, तो अचानक सवाल करने वाले ये लोग कौन हैं। यदि छात्रों के पास कोई मुद्दा था तो वे पुलिस में शिकायत दर्ज करा सकते थे। किसी राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं से सीधे सवाल करने का अधिकार उन्हें किसने दिया।
शिक्षण संस्थाओं का राजनीतिक उपयोग न हो
भाजपा कार्यकर्ताओं का बचाव करते हुए अश्वथ ने कहा कि भाजपा के कार्यकर्ताओं ने किसी नियम या कानून का उल्लंघन नहीं किया है। बल्कि लोग गलत जानकारी के कारण नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी भारतीय हैं और लोगों को इस तरह की राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को रोकना चाहिए और देश का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कॉलेजों में जागरूकता पैदा करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। जागरूकता उत्पन्न करने में रुकावट डालने वालों के साथ ही शिक्षण संस्थाओं का राजनीति के लिए इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
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