आइटी पेशेवर अनुकुमारी के पिता पानी पूरी का ठेला लगाते हैं। उनकी मां भी पहले सब्जियां बेचती थीं लेकिन फरवरी में उनका स्वास्थ्य बिगडऩे के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया। उसी समय मां की कुशलक्षेम पूछने के लिए अनुकुमारी मंड्या गई थी।
मार्च में लॉकडाउन लगने के कारण वह बेंगलूरु नहीं लौट सकी और कंपनी ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया। लेकिन अनुकुमारी इस से निराश नहीं हुई। बल्कि उन्होंने परिवार की मदद करने के लिए अपनी मां के काम यानि सब्जियां बेचने का फैसला किया।
अनुकुमारी के मुताबिक वह तड़के 3:30 बजे उठकर अपने पिता के साथ मंडी से सब्जियां खरीदने जाती है।
अनुकुमारी के मुताबिक वह तड़के 3:30 बजे उठकर अपने पिता के साथ मंडी से सब्जियां खरीदने जाती है।
5:30 बजे घर लौटने के पश्चात वह सुबह सात बजे से चामुंडेश्वरीनगर क्षेत्र में फुटपाथ पर सब्जियों की दुकान लगाती है। इससे उसे प्रति दिन करीब 1 हजार रुपए की आय हो रही है। इस राशि से वह बीमार मां की मैसूर जिला अस्पताल में चिकित्सा करवा रही है। उसकी मां को हर सप्ताह मैसूरु अस्पताल ले जाना अनिवार्य है।
अनुकुमारी का कहना है कि वह हालात सामान्य होने के बाद बेंगलूरु लौट कर फिर किसी आइटी कंपनी में जॉब करेगी।