घर में माता-पिता, बच्चे, सास-बहू यदि आपस में इन भावनाओं के साथ समझदारी से रहने का प्रयत्न करें तो आनंद से रह सकेंगे।
बैंगलोरPublished: Jan 16, 2020 09:21:19 pm
Santosh kumar Pandey
पाश्र्व सुशील धाम में आचार्य देवेंद्रसागर ने प्रवचन में कहा कि स्नेह देना, स्नेह लेना, और स्नेह से ही सामने वाले का प्रेम अर्थात स्नेह संपादित करना, यह हमें मालूम है। परंतु हम इसे अपने आचरण में लाने का प्रयत्न नहीं करते।
दूसरों के गुणों को परखें और प्रशंसा करें