सतीश जारकीहोली के समर्थकों ने बेलगावी ही नहीं बेंगलूरु में भी शपथ ग्रहण समारोह के बाद विधान सौधा के सामने विरोध प्रदर्शन किया और नारेबाजी की। उनका कहना था कि सतीश जारकीहोली जैसे वरिष्ठ नेता को मंत्रिमंडल से बाहर करना जिले के साथ बड़ा अन्याय है। उम्मीद की जा रही थी कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस सतीश को मंत्रिमंडल में शामिल करेगी और वे जिला प्रभारी मंत्री भी बनेंगे क्योंकि पार्टी उनके संगठनात्मक कौशल का फायदा उठाना चाहेगी। बादामी में पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या को भाजपा के मजबूत प्रतिद्वंद्वी बी.श्रीरामुलू के खिलाफ जीत दिलाने में सतीश जारकीहोली की अहम भूमिका रही।
उन्होंने जोरदार अभियान चलाया और उनकी रणनीति कामयाब भी रही। अपना नामांकन दाखिल करने के बाद उन्होंने घोषणा कर दी कि वे चुनाव खत्म होने तक बादामी में ही रहेंगे और अपने विधानसभा क्षेत्र यमकनामार्डी में प्रचार नहीं करेंगे। वे अपने विधानसभा क्षेत्र में 10 वर्षों तक विकास के लिए जो काम किए हैं उनकी बदौलत वे जीत दर्ज करेंगे। लोग उन्हें नहीं भूल सकते। उनके विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की एक भी रैली नहीं हुई और सिर्फ उनके कार्यकर्ताओं ने ही चुनावी अभियान चलाया।
एक और धारणा यह थी कि अगर सतीश जारकीहोली को मंत्रिमंडल में जगह दी जाती है तो नायक समुदाय (अनुसूचित जनजाति) के मतदाता कांग्रेस के साथ आएंगे जो भाजपा नेता बी.श्रीरामुलू के साथ खड़े नजर आते हैं। वे संघ परिवार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कट्टर विरोधी भी हैं। उनपर यह आरोप लगे कि वह पहली बार चुनी गई महिला विधायक लक्ष्मी हेब्बालकर के मंत्री बनने की राह में रोड़े अटका रहे हैं। लेकिन उन्होंने इन तमाम खबरों का खंडन करते हुए कहा था कि वे ना तो खुद मंत्री बनने की कोशिश कर रहे हैं ना ही किसी को रोक रहे हैं।
दूसरी ओर रमेश जारकीहोली को मृदुभाषी और लो-प्रोफाइल नेता के रूप में जाना जाता है। वे अपना अधिकांश समय अपने विधानसक्षा क्षेत्र गोकाक में ही गुजारते हैं। वहीं सतीश अपने मन की करते हैं और वे किसी दूसरे के प्रभाव में जल्दी नहीं आते। बेलगावी में उन्होंने कहा कि वे नहीं जानते कि क्यों उनका नाम मंत्रिमंडल में नहीं है। वे वरिष्ठ राष्ट्रीय नेताओं से इस बारे में बात करेंगे। वे पार्टी के निर्णय से नाराज नहीं है।