बेंगलूरु. रॉकेट मैन के उपनाम ने मशहूर वरिष्ठ अंतरिक्ष विज्ञानी कैलाशवडीवू सिवन (के. सिवन) ने सोमवार को
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष का पदभार संभाल लिया। सोमवार को निवर्तमान अध्यक्ष ए एस किरण कुमार तीन साल के कार्यकाल के बाद सेवानिवृत हो गए। अंतरिक्ष भवन में आयोजित कार्यक्रम में सिवन ने पदभार संभाला। विशिष्ट वैज्ञानिकसिवन इससे पहले तिरुवनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के निदेशक थे।
केंद्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने बुधवार को सिवन की इसरो अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग के सचिव के पद पर नियुक्ति की मंजूरी थी। सिवन इस पर तीन साल तक रहेंगे। सिवन स्वदेशी स्पेस शटल (आरएलवी-टीडी) और जीएसएलवी रॉकेट के परियोजना निदेशक रहे हैं। इन परियोजनाओं में सफलता का काफी श्रेय सिवन को जाता है। उन्होंने वर्ष 198 2 में इसरो ज्वाइन किया और पीएसएलवी परियोजना से जुड़े। इसरो के प्रमुख रॉकेट पीएसएलवी, जीएसएलवी और जीएसएलवी मार्क-3 के डिजाइन और विकास में उनकी अहम भूमिका रही है। सिवन ने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से वर्ष 198 0 में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की उपाधि प्राप्त की थी। इसके बाद भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) बेंगलूरु से वर्ष 1982 में एमई की किया। उन्होंने वर्ष 2006 में आईआईटी बाम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी भी किया। इसरो में सिवन ने कई महत्वपूर्ण पदों पर सेवाएं दी हैं। विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशकसे पहले वे तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र (एलपीएससी) के भी निदेशक थे। अंतरिक्ष परिवहन प्रणाली के इंजीनियरिंग सिस्टम में उनके पास 30 वर्षों का व्यापक अनुभव है।
नियुक्ति की घोषणा के बाद पत्रिका के साथ बातचीत में सिवन ने कहा कि ‘यह मेरे ऊपर एक बहुत बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इस पद को डॉ विक्रम साराभाई और प्रो. यू. आर. राव जैसे कालजयी व्यक्तित्वों ने सुशोभित किया है। वर्तमान अध्यक्ष किरण कुमार ने भी इस पद की गरिमा को नई ऊंचाई पर पहुंचाया है। मुझे उम्मीद है कि सरकार और इसरो कर्मचारियों का पूरा सहयोग मिलेगा। फिलहाल मेरा पूरा
ध्यान पीएसएलवी सी-४० के प्रक्षेपण पर है। इस मिशन के पूरा होने के बाद आगे की कार्य योजना पर तैयार करेंगे।