अधिकारियों से बात करने पर पता चला कि टीकाकरण को लेकर लोग अभी भी झिझक रहे हैं। टीकाकरण से जुड़ी भ्रांतियां आड़े आ रही हैं, जिसे दूर करने के प्रयास जारी हैं।
कई दिनों तक गांव से बाहर रहते हैं लोग
जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. शरणबसप्पा जी. ने बताया कि रोजगार के कारण यहां के कई लोग गांव में मौजूद नहीं रहते हैं। टीकाकरण दर कम होने का यह एक बड़ा कारण है। शहर में भी टीकाकरण दर करीब 30 फीसदी ही है। कलबुर्गी के 11 तालुकों के गांवों में विशेष टीकाकरण अभियान जारी है।
अलंद तालुक स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सुशील अंबुरे ने बताया कि बाकी 11 तालुकों में अलंद तालुक टीकाकरण कवरेज में पांचवें स्थान पर है। टीकाकरण दर 64 फीसदी है।
भ्रांतियों ने बढ़ाई समस्या
उन्होंने बताया कि कुछ समुदायों का मानना है कि टीकाकरण से बांझपन होता है। टीकाकरण के बाद जिले में कुछ लोगों की मौत हुई थी। कई लोग इसे टीकाकरण से जोड़ कर देख रहे हैं। तालुक प्रशासन को परेशान करने वाली एक और गलत सूचना मजदूर वर्ग की यह धारणा है कि वे टीकाकरण के बाद 15 दिनों तक शराब का सेवन नहीं कर सकते हैं। मजदूर वर्ग के लोग टीका नहीं लगवाना चाहते हैं। उन्हें लगता है कि वे टीकाकरण के बाद कई दिनों तक शराब नहीं पी सकते हैं।
कुछ नेता भी पीछे
लोगों को टीकाकरण के लिए मनाने के लिए धार्मिक नेताओं की भी मदद ली गई है। प्रार्थना स्थलों पर जागरूकता अभियान चलाए गए हैं। कुछ ग्राम पंचायत के नेता ऐसे भी हैं जिन्होंने खुद का टीकाकरण नहीं कराया है।
स्वास्थ्य मंत्री ने दिलाया लक्ष्य हासिल करने का भरोसा
कलबुर्गी के टीकाकरण प्रदर्शन के बारे में पूछने पर स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. के. सुधाकर ने कहा, ‘ऐसा लग रहा है कि जिले में वैक्सीन को लेकर हिचकिचाहट है। कलबुर्गी उपायुक्त वी.वी. ज्योत्सना से भी बात करने पर पता चला कि जागरूकता कार्यक्रमों के बावजूद लोग टीकाकरण से झिझक रहे हैं। फिर भी हम 31 दिसंबर तक सभी जिलों में सभी को टीका लगाने के लिए आश्वस्त हैं।’