आत्मा की सदगुणों की चिंता करने वाला कल्याणमित्र चाहिए
बैंगलोरPublished: Oct 18, 2019 06:07:43 pm
धर्मसभा
आत्मा की सदगुणों की चिंता करने वाला कल्याणमित्र चाहिए
बेंगलूरु. सिद्धाचल स्थूलभद्र धाम में उपधान तप आराधना में आचार्य चंद्रयश सूरिश्वर ने कहा कि जीवन यात्रा में व्यक्ति अकेला नहीं रह सकता हर व्यक्ति का कोई न कोई मित्र तो अवश्य होता है। अपने सुख दु:ख की बात करने जीवन में हर एक को एक सच्चे मित्र की आवश्कयता होती है। मित्र तो बहुत मिलते हैं पर आत्मा की चिंता करने वाला मित्र आपके पास है क्या? अध्यात्म जगत में वैसे मित्र को कल्याणमित्र कहते हंै। जो आत्म हित में सहायक बने जीव को अहितकारी प्रवृति से रोके और हितकारी जीवन की सलाह दे कल्याणमित्र के संग हमारे जीवन मेसे दोषो का नाश और गुणों का विकास होता है। थाली मित्र, ताली मित्र,प्याली मित्र तो हमारे बहुत हैं जो भौतिक सुखों की चिंता करते हंै परन्तु हमें तो आत्मा की सदगुणों की चिंता करने वाला कल्याणमित्र चाहिए। हमारे पास कल्याणमित्र? वर्तमानकाल का व्यक्ति संसार के सुख और भौतिकता के पीछे ही मगन है आत्मा की चिंता तो किसी को भी नहीं है प्रभु के शासन को प्राप्त श्रावक का जीवन देह केन्द्रित नहीं अपितु आत्म केन्द्रित होता है। उसे शरीर से ज्यादा आत्मा के हित अहित पुण्य पाप की चिंता रहती है। कल्याणमित्र वहीं बन सकता है जिसका स्व: जीवन सदाचारमय हो जो स्वयं न्याय नीति युक्त हो जो वीतराग परमात्मा की आग्न्या माननेवाला हो जो सन्मार्ग पर चलता हो वैसा कल्याणमित्र ही दूसरों को सन्मार्ग में ला सकता है। जीवन में मित्र का चयन करो तब एक बात हमेशा याद रखना की जीवन का पतन करे वैसा नहीं अपितु उत्थान करे वैसा मित्र चाहिए जो कल्याणमित्र ही हो सकता है। जीवन में किसी के अच्छे सद्गुणों की अनुमोदना करना भी बड़ा गुण है। आज का व्यक्ति किसी का दोष तो तुरंत देख कर सबको बताता है पर महान व्यक्ति दूसरो के दोष नहीं पर सद्गुणों का ही गान करता है अत: हमारी दृस्टि अच्छाई पर जानी चाहिए ना कि बुराई पर।