एक महीने बाद ही ट्रैक पर होगी कंबाला धावक की आजमाइश
कभी जूते पहनकर नहीं दौड़े, कींचड़ और पानी से सने खेत में दौडऩे के अभ्यस्त, प्रशिक्षण मिला तो ट्रैक पर आजमाएंगे किस्मत

बेंगलूरु.
कंबाला दौड़ में रिकॉर्ड कायम करने वाले श्रीनिवास गौड़ा को भले ही फर्राटा दौड़ में आजमाने की कोशिशें हो रही हैं लेकिन उनकी रुचि कींचड़ और पानी से भरे खेतों में भैंसों की पारंपरिक दौड़ में ही है।
कंबाला दौड़ में 142.5 मीटर की दूरी महज 13.62 सेकेंड में पूरी करने के बाद सुर्खियां बटोरने वाले श्रीनिवास गौड़ा सोमवार को मुख्यमंत्री बीएस येडियूरप्पा से मिले। इस दौरान केंद्रीय मंत्री किरण रिजीजू के निर्देश पर भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) के कोच भी गौड़ा से मिलने आए और उनसे बातें की।
मुख्यमंत्री से मिलने के बाद श्रीनिवास गौड़ा ने कहा कि उन्हें खुशी है कि मुख्यमंत्री से मिलने का मौका मिला। कंबाला अगले एक महीने तक चलेगा। इसलिए वे अभी एक महीने तक साइ के ट्रायल में भाग नहीं ले सकते। उन्होंने कहा कि वे आज तक जूते पहनकर कभी नहीं दौड़े। बचपन से ही वे कींचड़ और पानी से भरे खेतों में दौड़ते रहे हैं। कंबाला में उन्होंने रिकॉर्ड कायम किए। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि इतना तेज दौड़ेंगे। इसमें सबसे बड़ा योगदान भैंस और उसके मालिकों का है। उन्होंने उसका अच्छे से ख्याल रखा। लेकिन, ट्रैक पर दौडऩे के लिए विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी।
ट्रैक पर दौडऩे वाले कंबाला में नाकाम हुए
उन्होंने कहा कि एथलेटिक्स में भाग लेने की उन्हें इच्छा है लेकिन उसके लिए प्रशिक्षण और अभ्यास चाहिए। यह एक महीने बाद ही संभव होगा। अभी कंबाला खत्म होने दीजिए। वे अधिकारियों से आग्रह करेंगे कि उन्हें समय दिया जाए। ट्रैक पर दौडऩे वाले अभी तक कंबाला में नहीं दौड़े हैं। उनके कुछ साथियों ने प्रयास भी किए लेकिन कामयाब नहीं हुए। यहां तक कि कुछ अंतरराष्ट्रीय एथलीटों ने भी कंबाला में दौडऩे की कोशिश की लेकिन, कींचड़ और पानी भरे खेत में नहीं दौड़ नहीं पाए। वे इसमें दौडऩे के अभ्यस्त हैं। भैंस तब दौड़ते हैं जब हम उनके पीछे भागते हुए उनपर चढऩे की कोशिश करते हैं। अगर ऐसा नहीं करें तो वे नहीं भागेंगे। इसके बारे में काफी अध्ययन किया है और उनके पीछे भागना काफी मजेदार होता है। उन्हें लगता है कि अगर अच्छा प्रशिक्षण मिला तो वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भाग ले सकते हैं।
सुविधाएं मुहैया कराने को तैयार: सीटी रवि
उधर, राज्य के संस्कृति मंत्री सीटी रवि ने कहा कि उनके प्रशिक्षण को लेकर सुविधा मुहैया कराने को तैयार हैं। साई के साथ योग्यता परीक्षण के बाद उनके प्रशिक्षण में मदद की जाएगी। अभी वह 10 मार्च तक काफी व्यस्त है।
हमें देखना होगा कि वहां ठहरता है: साइ
वहीं, भारतीय खेल प्राधिकरण के वरिष्ठ निदेशक कैप्टन अजय कुमार बहल ने कहा कि 'पहले उन्हें हमारे पास आने की जरूरत है क्योंकि वह एक क्षेत्र विशेष के एक ग्रामीण खेल का हिस्सा हैं। यदि हम उसे राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले जाना चाहते हैं, तो बेसिक पर काफी काम करना होगा। वह अभी भी जूते और स्पाइक्स से काफी दूर हैं। ट्रैक पर दौडऩा अलग होता है जबकि मैदान पर दौडऩा अलग होता है। फिलहाल उसने दिखाया है कि वह काफी प्रतिभावान है। हमें उस पर काफी काम करने की जरूरत है। हमें उसके पोषण, पूरक आहार, उसकी डाइट, बॉयोमैकेनिक्स, फिजियोलॉजी, खेल विज्ञान विभाग में उसके साथ काफी काम करना पड़ेगा और तभी हमें पता चलेगा कि आखिर वह कहां ठहरता है।Ó
श्रीनिवास की तुलना बोल्ट से नहीं
इस बीच कांबला अकादमी के अध्यक्ष प्रोफेसर के गुणपाला कादम्बा ने कहा कि 'हम धावकों के लिए हर तरह की पेशेवर ट्रेनिंग की सुविधा मुहैया करवाते हैं। हम यहां श्रीनिवास गौड़ा की तुलना उसैन बोल्ट से नहीं कर रहे हैं। अगर कल को बोल्ट कांबला में दौड़ में हिस्सा लेते हैं तो वह श्रीनिवास गौड़ा की तरह नहीं होंगे।Ó
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