केएएमएस के महासचिव डी. शशिकुमार ने सोमवार को कहा कि केएएमएस के अंतर्गत आने वाले हजारों स्कूल बेहद कम फीस पर बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। इन स्कूलों में पढऩे वाले 90 फीसदी बच्चे गरीब व आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से आते हैं। ऐसे में स्कूल प्रबंधनों के लिए फीस बढ़ाना या छठे वेतन आयोग को लागू करना संभव नहीं है।
शशिकुमार ने कहा कि उन्हें नहीं लगता है कि न्यायालय भी निजी गैर अनुदानित स्कूलों को इस प्रकार का आदेश जारी करेगा। क्योंकि ऐसे स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों का वेतन स्कूल प्रबंधन और कर्मचारियों के आपस का मामला है।