इस बार वे भाजपा में शामिल होकर चुनाव मैदान में उतरे थे। जद-एस का जनाधार यहां खिसक गया और पार्टी के प्रत्याशी गिरीश नाशी तीसरे स्थान पर रहे। गोपालय्या की क्षेत्र में अच्छी पकड़ रही है और उनकी पत्नी हेमलता उप महापौर भी रह चुकी हैं, लेकिन कांग्रेस ने तीन बार वार्ड पार्षद रहे एम. शिवराजू को उतार उनकी मुश्किल बढ़ा दी थीं। जद-एस ने नए चेहरे गिरीश के. नाशी को उतारा था।
उपचुनाव गोपालय्या के सियासी भविष्य के लिए काफी निर्णायक माना जा रहा था, लेकिन उन्होंने अपने आपको एक बार फिर साबित किया है। गौर हो कि वोक्कालिगा बहुल महालक्ष्मी लेआउट क्षेत्र जद-एस का गढ़ माना जाता रहा है।
राज्य के अन्य क्षेत्रों की तरह यहां भी विकास मुद्दा नहीं था। यह उन तीन सीटों में है, जहां जद-एस ने प्रचार के लिए पूरी ताकत झोंकी। वहीं, गोपालय्या को टिकट देने के खिलाफ उपजे असंतोष पर भाजपा काबू पाने में काफी हद तक सफल रही।