ऐसे ही लोगों में से एक हैं रायचुर जिले की बुशरा मतीन (Bushra Mateen) । बुशरा के माता-पिता के अनुसार भी उनकी बेटी बचपन से ही पढऩे में तेज और जिम्मेदार थी। बुशरा ने हर समय पढ़ाई पर पूरा ध्यान दिया और इसी का नतीजा है कि वह आज इस मुकाम पर है।
विश्वेश्वरय्या प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (Visvesvaraya Technological University - वीटीयू) ने गुरुवार को 21वां वार्षिक दीक्षांत समारोह मनाया तो बुशरा की सफलता शोर मचा रही थी। इंजीनियरिंग (Engineering) की छात्रा बुशरा मतीन ने 16 स्वर्ण पदक (16 Gold Medal) अपने नाम कर इतिहास रचा है। इससे पहले सर्वाधिक 13 स्वर्ण पदक जीतने का इतिहास है। बुशरा ने रायचुर जिले के एसएनएन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बीइ सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है।
यूपीएससी की तैयारी जारी
बुशरा ने पत्रिका को बताया कि वे गत वर्ष नवंबर से यूपीएससी (UPSC) की तैयारी कर रही हैं। इसलिए कॉलेज प्लेसमेंट में भी भाग नहीं लिया। सिविल सेवा एक ऐसा मंच है, जहां से वे देश के लोगों के लिए बेहतर काम कर सकेंगी। उनके पिता जूनियर सिविल इंजीनियर हैं। बुशरा पहले कम्प्यूटर इंजीनियरिंग करना चाहती थीं। लेकिन गृह जिला रायचुर में ही रहकर पढ़ाई करने की इच्छा के कारण उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग चुना। उनके अनुसार एक सिविल इंजीनियर देश के किसी भी क्षेत्र में रहकर काम कर सकता है। 70 की कक्षा में 23 लड़कियां थीं। यह मानना सही नहीं है कि सिविल केवल लड़कों के लिए है।
बेटियों को करें शिक्षित
सेंट मैरी कॉन्वेंट से स्कूली शिक्षा और रायचूर के प्रमाण प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज से पीयू करने वाली बुशरा ने कहा कि महिलाओं का शिक्षित होना बेहद जरूरी है। उन्हें अपने निर्णय लेने का अधिकार होना चाहिए और शिक्षा ऐसा करने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका है। वे कहती हैं कि समस्या का सामना करें, भागे नहीं, तभी उसे सुलझा सकेंगे।
संविधान ने दिया शिक्षा का अधिकार
हिजाब विवाद पर बुशरा ने कहा, 'मैं एक भारतीय (Indian) हूं। हमारा देश लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष है। हमारे सर्वोच्च संविधान (Indian Constitution) ने शिक्षा का अधिकार (Right To Education) दिया है और धर्म को इसमें बाधा नहीं बनना चाहिए। मेरे कॉलेज ने हिजाब पहनने से नहीं रोका।'