इसके बाद वे राजनीति से संन्यास ले लेंगे। मगर मतदाताओं पर उनकी यह भावुक अपील असर डालने में विफल रही। वर्ष 2018 विधानसभा चुनाव में यहां से केपीजेपी प्रत्याशी आर. शंकर ने कोलीवाड को मात दी थी। तब कोलीवाड समर्थकों का कहना था कि शंकर को सिद्धरामय्या को परोक्ष साथ मिला, जिस कारण 10वीं बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे कोलीवाड को हार का सामना करना पड़ा।
हालांकि, अयोग्य करार दिए गए शंकर को भाजपा ने टिकट न देकर अरुण कुमार पर भरोसा जताया। पिछले चुनावों में भाजपा की दमदार उपस्थिति नहीं रहने के कारण कोलीवाड अपने लिए अच्छे दिन की उम्मीद पाल रहे थे, लेकिन पिछली बार निर्दलीय से चुनाव हारने के बाद अब उन्हें नए चेहरे से हार मिली है।
यहां किसानों की सिंचाई समस्या, तुंगभद्रा पर एक बैराज बनाने की मांग, ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं की कमी सहित शिक्षा एवं रोजगार के लिए बढ़ते पलायन के मुद्दों से इतर उपचुनाव में कोलीवाड जनता से अपील करते रहे कि यह उनका आखिरी चुनाव है।
इसलिए उन्हें जीत दिलाकर सम्मानित विदाई दी जाए। वहीं अरुण अपनी विधायकी पारी की शुरुआत करने के लिए मतदाताओं से पूछ रहे हैं कि जब दस बार चुनाव लडऩे और पांच बार जीतने वाले कोलीवाड अब समस्याएं नहीं सुलझा पाए तो अब 75 पार की उम्र में वे सिर्फ अपने हितों के लिए चुनाव में उतरे हैं।