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कर्नाटक का फैसला आज : क्या बदलेगी येडियूरप्पा की किस्मत, भाजपा को चाहिए इतनी सीटें

locationबैंगलोरPublished: Dec 09, 2019 09:11:33 am

Submitted by:

Jeevendra Jha

जनता के फैसले से यह तय होगा कि येडियूरप्पा पद पर बने रहेंगे या नहीं अथवा राज्य एक बार फिर सियासी परिवर्तन का साक्षी बनेगा। साथ ही अगर येडियूरप्पा पद पर बने रहते हैं तो उनकी सरकार कितनी स्थिर होगी।

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बेंगलूरु. चौथी बार मुख्यमंत्री बने बी एस येडियूरप्पा और दक्षिणी राज्यों में पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रही भाजपा के लिए सोमवार का दिन काफी निर्णायक साबित होगा। जनता के फैसले से यह तय होगा कि येडियूरप्पा पद पर बने रहेंगे या नहीं अथवा राज्य एक बार फिर सियासी परिवर्तन का साक्षी बनेगा। साथ ही अगर येडियूरप्पा पद पर बने रहते हैं तो उनकी सरकार कितनी स्थिर होगी।

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मतगणना से यह भी साफ हो जाएगा कि उपचुनाव के कारक बने अयोग्य विधायकों के बारे में जनता का निर्णय क्या रहा। उपचुनाव में विकास के मुद्दे गौण रहे। भाजपा ने सरकार की स्थिरता के मसले पर वोट मांगा तो विपक्ष ने अयोग्य विधायकों के दल-बदल करने का मसला उठाया। उपचुनाव में 17 में से 13अयोग्य ठहराए गए विधायक किस्मत आजमा रहे हैं। भाजपा को बहुमत के लिए जादुई आंकड़े मिल जाने की उम्मीद है तो विपक्षी कांग्रेस और जद-एस को भरोसा है कि उन्हें अच्छी खासी सीटें मिल जाएगी। भाजपा के लिए सरकार को अल्पमत आने से बचाने के लिए १५ में से कम से कम छह सीटों पर जीत की चुनौती है। हालांकि, पार्टी के नेता विश्वास जता रहे हैं कि वे आसानी से बहुमत के लिए आवश्यक संख्या जुटा लेंगे। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अगर पार्टी पांच सीटें भी जीतती है तो सरकार को खतरा नहीं होगा। ऐसी स्थिति में पार्टी के सदस्यों की संख्या बढ़कर ११० हो जाएगी। इसके साथ ही पार्टी को एकमात्र निर्दलीय एच नागेश का समर्थन भी हासिल है। बसपा के एकमात्र विधायक एन महेश के समर्थन से पार्टी सदन मेें साधारण बहुमत का इंतजाम कर लेगी। उपचुनाव परिणाम आने के बाद विधानसभा के सदस्यों की संख्या नामित सदस्य सहित मौजूदा 208 से बढ़कर 223 हो जाएगी। ऐसे में भाजपा को ११२ के जादुई आंकड़े को हासिल करने में मुश्किल नहीं होगी। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि अगर विपक्षी दल कांग्रेस और जद-एस जादुई संख्या के पास पहुंचते हैं तो वैसी स्थिति में भाजपा प्लान बी का दांव खेल सकती है। भाजपा ऑपरेशन कमल सहित दोनों दलों के कुछ असंतुष्ट विधायकों को सदन से इस्तीफा दिलाव सकती है।

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