अपने एक दशक के राजनीतिक जीवन में कई सुधाकर ने कई उतार-चढ़ाव देखे। इस बार उन्हें अपनी राजनीतिक डॉक्टरी से चुनावी समर में फतह करने की चुनौती थी। जहां एक ओर विपक्ष की मजबूत घेराबंदी थी तो दूसरी ओर भाजपा की आंतरिक कलह भी बड़ी समस्या थी। मगर सुधाकर ने इन दोनों से पार पाते हुए तीसरी बार विधायक बनने में सफलता हासिल की।
यह पहला मौका रहा जब भाजपा ने यहां खाता खोला। चिकबल्लापुर में अब तक कांग्रेस और जद-एस ही एक दूसरे के मुख्य प्रतिद्वंद्वी रहे हैं। चिकबल्लापुर से भाजपा सांसद बच्चेगौड़ा के बेटे शरत बी. को होसकोटे से भाजपा ने टिकट नहीं दिया था जिस कारण बच्चेगौड़ा ने सुधाकर के लिए कोई विशेष सक्रियता नहीं दिखाई।
सुधाकर ने येडियूरप्पा सरकार बनने के बाद जिले के लिए मेडिकल कॉलेज, मंचनहल्ली को अलग तालुक बनाने सहित पेयजल समस्या दूर करने की योजनाओं को स्वीकृति दिलाने को मतदाताओं को समक्ष अपने मजबूत पक्ष के तौर पर पेश किया।