बहरहाल, बुधवार को दिन भर मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने वाले विधायकों की संख्या को लेकर अटकलों का बाजार गर्म रहा। किसी भी सदन के सदस्य नहीं होने के बावजूद सी.पी.योगेश्वर को मंत्री बनाने का भाजपा मूल के विधायकों के कड़े विरोध के मद्देनजर अब केवल दूसरी पार्टियों को छोड़कर भाजपा में आने के बाद उपचुनाव जीते 11 में से दस जनों को ही मंत्री बनाए जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
पहले मुख्यमंत्री का इरादा 10 बाहरी विधायकों को व भाजपा मूल के 3 विधायकों को मंत्री बनाने का था। लेकिन मंत्री पदों को लेकर भाजपा में दावेदारों की जबरदस्त लाबिंग व गुटबाजी तेज होने के कारण पार्टी के वरिष्ट नेता अमित शाह ने फिलहाल नव निर्वाचितों को मंत्री बनाने व भाजपा मूल के नेताओं को 31 मार्च को बजट अधिवेशन के समापन के बाद मंत्री बनाने की येडियूरप्पा को सलाह दी बताते हैं।
इस बीच, मुख्यमंत्री बी.एस.येडियूरप्पा ने भी इस बात की पुष्टि की है कि गुरुवार को केवल उपचुनाव जीतने वाले विधायकों को ही मंत्री बनाया जाएगा और भाजपा मूल के नेताओं को बजट अधिवेशन समाप्त होने तक मंत्री पद दिए जाएंदे लिहाजा उनको निराश होने की जरुरत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि मूल भाजपाई को अवसर देने पर मंत्री पद के अनेक दावेदारों में असतोष व नाराजगी उत्पन्न हो सकती है लिहाजा फिलहाल केवल उपचुनाव जीतने वालों को ही अवसर दिया जाएगा।
उपचुनाव जीते 11 बाहरी विधायकों में से 10 जनों को मंत्री बनाना तय है जबकि महेश कुमटहल्ली को मंत्री बनाने के मसले पर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। बैसे कुमटहल्ली को मंत्री बनाने के मसले पर रमेश जारकीहोली सहित उनके गुट के विधायक मुख्यमंत्री पर भारी दबाव डाल रहे हैं और कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री ने उपचुनाव जीतने वाले सभी विधायकों को मंत्री बनाने का वादा किया था लिहाजा कुमटहल्ली को भी मंत्री बनाकर उनको अपना वादा पूरा करना चाहिए। बहरहाल, मंत्रिमंडल में कितने लोगों को शामिल किया जाएगा इस बारे में गुरुवार को शपथ ग्रहण के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी।