कर्नाटक में तलपडी से गोवा तक 320 किमी की तटरेखा है। समुद्र के इस हिस्से में हर साल कई हादसे होते हैं और कई लोगों की जान चली जाती है। दुर्घटनाओं के बाद समय पर मदद नहीं पहुंच पाती है। तटरक्षक बल के पास जहाजों की कमी नहीं है और तटीय सुरक्षा बल के पास इंटरसेप्टर नावें हैं। लेकिन, उनके पास केवल प्राथमिक चिकित्सा की सुविधा है। गंभीर चोटों के मामलों में घायलों को किनारे लाने और अस्पताल भेजने में काफी समय बर्बाद हो जाता है। ऐसे मामलों में बोट एम्बुलेंस काम आ सकती है। मछुआरे भी लंबे समय से बोट एम्बुलेंस की मांग कर रहे हैं। शुरुआत में कम से कम दो बोट एम्बुलेंस की जरूरत है।
रोड एम्बुलेंस के मुकाबले बोट एम्बुलेंस में से ज्यादा सुविधाएं होती हैं। उनके पास विशेषज्ञों की एक टीम है जो जानते हैं कि पानी में गिरने के बाद बचाए गए लोगों का इलाज कैसे किया जाता है। विशेषज्ञ तैराक भी उपलब्ध कराए जाते हैं। बोट एम्बुलेंस 14 नॉटिकल मील प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती हैं।