scriptअनिवार्य पोस्टिंग की राह ताक रहे एमडी व एमएस कर चुके चिकित्सक | Karnataka : Completed MD and MS, still awaiting compulsory posting | Patrika News

अनिवार्य पोस्टिंग की राह ताक रहे एमडी व एमएस कर चुके चिकित्सक

locationबैंगलोरPublished: Oct 30, 2021 11:38:50 am

Submitted by:

Nikhil Kumar

– रिक्त पदों की सूची में अनियमितताएं- स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा विभाग पर लगाया अनदेखी का आरोप

doctors_.jpg

doctors

बेंगलूरु. डॉक्टर ऑफ मेडिसिन (डीएम) और मास्टर ऑफ सर्जरी (एमएस) कोर्स पूरा करने के बाद भी वर्ष 2018 बैच के सैकड़ों चिकित्सक अनिवार्य पोस्टिंग की राह ताक रहे हैं। बॉन्ड के अनुसार पीजी के बाद इन चिकित्सकों के लिए एक वर्ष की सेवा अनिवार्य है। चिकित्सकों के अनुसार स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग ने ठीक से काउंसलिंग आयोजित नहीं की है। प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में रिक्त पदों की सूची तक जारी नहीं हुई है। खामियाजा चिकित्सकों को भुगतना पड़ रहा है। समस्या का समाधान नहीं होने पर चिकित्सकों ने कानूनी राह अपनाने की चेतावनी दी है। चिकित्सकों के अनुसार सरकार, चिकित्सा शिक्षा व स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ है। कई चिकित्सकों ने चिकित्सा शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग पर पोस्टिंग में भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए हैं। हालांकि अधिकारियों ने आरोपों को निराधार बताया है।

कर्नाटक एसोसिएशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स (केएएआरडी) के अनुसार वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के एक फैसले के बाद पीजी कोर्स समाप्त करने के बाद अनिवार्य सरकारी पोस्टिंग के लिए ऑनलाइन पंजीकरण (Online Registration) अनिवार्य है। सरकारी अस्पतालों या कॉलेजों में एक वर्ष सेवा देने के बाद संबंधित चिकित्सक वरिष्ठ रेजीडेंट कहलाएंगे।

विभाग ने इस वर्ष अगस्त में नोटिफिकेशन जारी कर चिकित्सकों से पोस्टिंग के लिए ऑनलाइन विकल्प भरने के लिए कहा था। चिकित्सकों को विषय के साथ चार कॉलेजों के नाम भरने के निर्देश दिए गए थे। मेरिट के आधार पर पोस्टिंग होनी थी। लेकिन इस नोटिफिकेशन को रद्द करते हुए विभाग ने चार अक्टूबर को दूसरी नोटिफिकेशन जारी की। इसके अनुसार चार से 10 अक्टूबर तक पंजीकरण करना था और 12 व 13 अक्टूबर को विकल्प भरने थे। इसे भी स्थगित कर दिया गया। 25 अक्टूबर को रिक्त पदों की आधी- अधूरी सूची जारी की गई। चिकित्सकों को 25 और 26 अक्टूबर को ऑनलाइन विकल्प भरने का अवसर दिया गया।

इतना सब होने के बावूजद कई मेडिकल कॉलेजों में विषयबार रिक्त पदों की संख्या शून्य थी। एमडी (त्वचाविज्ञान) के एक चिकित्सक ने बताया कि किसी भी कॉलेज में जगह खाली नहीं थी। मेरिट सूची में नाम आने के बावजूद चिकित्सक पोस्टिंग से वंचित रह गए।

एक प्रभावित चिकित्सक ने बताया कि पैथोलॉजी, जनरल मेडिसिन, जनरल सर्जरी और ऑर्थोपेडिक्स के लिए मेडिकल कॉलेज में पर्याप्त संख्या में सीटें थीं। लेकिन अनेस्थिसिया, त्वचाविज्ञान, मनोविज्ञान व पीडियाट्रिक के लिए सीटें बेहद कम थीं। ऐसे में चिकित्सकों के पास प्राथमिक या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ही जाने का विकल्प मिला, जो न्यायसंगत नहीं है।

कर्नाटक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस और बेंगलूरु मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट सहित कई मेडिकल कॉलेजों ने चिकित्सा शिक्षा विभाग व स्वास्थ्य आयुक्त को पत्र लिख ऑनलाइन पोर्टल में अनियमितता की शिकायत की है। कॉलेजों में सीटें होने के बावजूद पोर्टल पर संख्या शून्य है।

केएएआरडी (KARD) के सदस्य डॉ. बगेवाड़ी ने कहा कि मनोरोग विषय में एमडी कर चुके एक चिकित्सक ने बताया कि चिकित्सा शिक्षा विभाग ने काउंसलिंग प्रक्रिया में दूरी की। अब पंजीकरण के लिए केवल दो दिन दिए गए हैं। रिक्त पदों की संख्या शून्य होने के कारण कई चिकित्सक पंजीकरण नहीं करा पा रहे हैं। समस्या का समाधान नहीं होने पर न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। प्राथमिक या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में पोस्टिंग होने पर एक वर्ष के बाद संबंधित चिकित्सक वरिष्ठ रेजीडेंट नहीं बन सकेंगे।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो