बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका के सोमवार शाम पांच बजे तक के आंकड़ों के अनुसार सरकारी कोटे के 7,201 जनरल बिस्तरों में से 5,715 बिस्तर रिक्त हैं।
ऑक्सीजन बिस्तर युक्त हाई डिपेंडेंसी यूनिट में 4954 बिस्तर हैं। इनमें से 2218 बिस्तरों पर मरीज नहीं हैं। लेकिन, आइसीयू बिस्तर व आइसीयू युक्त वेंटिलेटर बिस्तरों की मांग अब भी ज्यादा है। 589 आइसीयू बिस्तर में से 24 रिक्त हैं जबकि आइसीयू युक्त 637 वेंटिलेटर बिस्तरों में से 14 बिस्तर ही उपलब्ध हैं। स्थिति पहले से बेहतर हैं। इन बिस्तरों के लिए मरीजों को कई अस्पतालों के चक्कर काटने पड़ते थे।
प्राइवेट हॉस्पिटल्स एंड नर्सिंग होम्स एसोसिएशन (पीएचएएनए) के अध्यक्ष डॉ. एचएम प्रसन्ना ने बताया कि निजी अस्पतालों में कोविड बिस्तरों की मांग करीब 30 फीसदी घटी है। मरीजों के साथ ऑक्सीजन की मांग भी घटी है।
उन्होंने बताया कि 22 मई से पहले राज्य में रोजाना 800 से ज्यादा मीट्रिक टन ऑक्सीजन की खपत थी। बीते कुछ दिनों से औसतन दैनिक खपत 772 मीट्रिक टन रही है। रोजाना करीब 300 टन की खपत अकेले बेंगलूरु शहर के अस्पतालों में है। अगले एक सप्ताह में प्रतिदिन करीब 250 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत ही पड़ेगी।
बेंगलूरु मेडिकल कॉलेड एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट की डीन डॉ. सीआर जयंती ने बताया कि कुछ मरीज 15-20 दिनों से वेंटिलेटर पर हैं। कोविड के कई गंभीर मामलों में ठीक होने की प्रक्रिया धीमी है। कई मरीज अंतिम समय में अस्पताल पहुंच रहे हैं।