स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 15 से 20 जनवरी तक कोविड के कुल 5,344 मरीज भर्ती हुए हैं। इनमें से 2,209 मरीज निजी अस्पतालों में हैं। 340 मरीज आइसीयू में और 127 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। 14 जनवरी तक 2,195 मरीज ही भर्ती थे। इनमें से 105 मरीज आइसीयू और 35 मरीज वेंटिलेटर पर थे।
40 फीसदी मरीज निजी अस्पतालों में
प्राइवेट हॉस्पिटल्स एंड नर्सिंग होम्स एसोसिएशन (पीएचएएनए) के अनुसार करीब 40 फीसदी मरीज निजी अस्पतालों में भर्ती हैं। निजी अस्पतालों पर कोविड मरीजों का बोझ बढ़ा है। इसका सबसे कारण है कि ट्राइएज के आधार पर सरकारी अस्पतालों में मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। लेकिन, निजी अस्पताल गंभीर अवस्था में पहुंचने वाले मरीजों को भर्ती करने से मना नहीं कर सकते हैं। निजी अस्पतालों में भर्ती सभी मरीज खुद ही अस्पताल पहुंचे हैं।
बुजुर्गों की संख्या ज्यादा
एक निजी अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया कि ज्यादातर परिवार अन्य बीमारियों से जूझ रहे कोविड पॉजिटिव बुजुर्गों को घबराहट में अस्पताल में भर्ती करा रहे हैं। कई परिवारों को ऐसा भी लगता है कि कोविड मरीज के अस्पताल में से घर के लोग सुरक्षित रहेंगे और अलग से देखभाल की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। इस बार सरकार का ध्यान होम आइसोलेशन पर ज्यादा केंद्रित है। 95 फीसदी से ज्यादा मरीज होम आइसोलेशन में ही स्वस्थ हो रहे हैं।
बेहतर ट्राइएज के निर्देश
जनरल वार्ड में मरीजों की संख्या बढ़ी है। लेकिन दूसरी लहर के मुकाबले इस बार भर्ती मरीजों की संख्या कुछ भी नहीं है। जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को बेहतर ट्राइएज के निर्देश दिए गए हैं।
– रणदीप डी., स्वास्थ्य आयुक्त
टीपीआर नहीं, आइसीयू पर हो ध्यान
विशेषज्ञों अनुसार टेस्ट पॉजिटिविटी दर से ज्यादा आइसीयू में भर्ती मरीजों पर ध्यान देने की जरूरत है। मामले की गंभीरता, टीकाकरण, मृत्यु दर आदि के विश्लेषण से भविष्य की तैयारियों में मदद मिलेगी।