प्रदेश जनता दल-एस के पूर्व अध्यक्ष एएच विश्वनाथ की अगुवाई में सभी विधायक विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार के कार्यालय पहुंचे लेकिन स्पीकर अपने कक्ष में नहीं थे। इसलिए विधायकों ने अपना इस्तीफा विधानसभा सचिव को सौंप दिया।
बाद में स्पीकर ने इस्तीफे की पुष्टि करते हुए कहा कि ‘11 विधायकों ने मेरे दफ्तर में इस्तीफा दिया है। मैंने अपने कार्यालय को सूचित कर दिया था कि इस्तीफा ले लें। मैं अब मंगलवार को ही अपने दफ्तर आ पाऊंगा। मैंने उन्हें नहीं लौटाया है। कानून के मुताबिक कार्रवाई होगी। कल रविवार है। मैं सोमवार को बेंगलूरु में नहीं रहूंगा इसलिए मंगलवार को इस मामले को देखूंगा।’
इस्तीफा देने के बाद एएच विश्वनाथ के नेतृत्व में विधायक राज्यपाल वजूभाई वाळा से मिलने राजभवन पहुंचे। 14 के इस्तीफे का दावा राज्यपाल से भेंट के बाद विश्वनाथ ने दावा किया कि कुल 14 विधायकों ने इस्तीफा दिया है। उन्होंने दो अन्य कांग्रेस विधायक मुनिरत्ना और सौम्या रेड्डी को भी इसमें शामिल किया है। कथित तौर पर मुनिरत्ना का इस्तीफा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और संकट मोचक कहे जाने वाले डीके शिवकुमार ने स्पीकर के कार्यालय में फाड़ दिया। वहीं सौम्या रेड्डी इस्तीफा देने वाले एक अन्य विधायक रामलिंगा रेड्डी की बेटी हैं जिससे उनके इस्तीफा देेने की संभावना अधिक है।
तो अल्पमत में आ जाएगी सरकार अगर 14 विधायक इस्तीफा देते हैं तो कुमारस्वामी सरकार अल्पमत में आ जाएगी। दरअसल, 224 सदस्यीय विधानसभा में गठबंधन सरकार के 118 विधायक हैं। 1३ विधायकों के इस्तीफे मंजूर हुए तो विधानसभा की सदस्य संख्या घट कर 21१ रह जाएगी और बहुमत के लिए आवश्यक संख्या 10६ होगी। गठबंधन के पास 10५ विधायक रह गए हैं लेकिन, सरकार बचाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष वोट दे सकते हैं। अगर एक भी और विधायक इस्तीफा देगा तो सरकार अल्पमत में आ जाएगी।
सिद्धरामय्या का हाथ
उधर, हुब्बल्ली में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन सरकार को अस्थिर करने के पीछे सिद्धरामय्या का हाथ है। देवगौड़ा परिवार एक मिनट के लिए भी सत्ता में रहना सिद्धरामय्या को पसंद नहीं है। जोशी ने कहा कि विधायकों के इस्तीफे और उनके बयानों के पीछे सूत्रधार सिद्धरामय्या हैं। सिद्धरामय्या को गठबंधन सरकार में डॉ. जी. परमेश्वर को नेतृत्व मिलने का डर है।