उन्होंने कहा कि किसी मामले की संपूर्ण जानकारी माडिया को देने की जरूरत नहीं है। जितना जरूरी है, उतना बताया जाए, अधिक जानकारी देने से जांंच मेंं बाधा पड़ सकती है। मीडिया केवल आपराधिक मामलों को प्रमुखता दे रहा है। इन मामलों में पुलिस कर्मी के बयान और स्पष्टीकरण दिए जाते हैं। टीवी चैनलों पर लंबे प्रसारण से जांच पर असर पड़ता है।
डीजीपी ने कहा कि कोई भी अधिकारी एक मिनट से ज्यादा बयान नही देगा। बच्चों और महिलाओं पर होने वाले अपराध और गंभीर मामलों की जानकारी गुप्त रखना हर पुलिसअधिकारी का कर्तव्य है। इस सिलसिले में उच्चतम न्यायालय ने कुछ दिशा निर्देश जारी किए हैं। उन पर सख्ती से अमल करना होगा। अगर इन दिशा निर्देश का पालन नहीं किया तो अनुशासनत्मक कार्रवाई होगी।
बताया जाता है कि खुद मुख्यमंत्री एच.डी.कुमारस्वामी ने हाल ही में संपन्न वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की बैठक में मीडिया को दूर रखने का सुझाव दिया था। इसका पालन करते हुए नीलामणि ने आदेश जारी किया है। जांच अधिकारी द्वारा किसी भी मामले से संबंधित बयान देने से इसका शिकायत दर्ज कराने वाले और उसके परिवार पर भी गहरा असर पड़ रहा है। कई लोगों ने आपराधिक मामलों के प्रसारण रोकने की मांग की थी।
———- पुलिस की वर्दी में भक्तों को लूटने वाले गिरफ्तार
बेंगलूरु. मादा नायकनाहल्ली पुलिस ने मंदिर जाने वाले भक्तों को पुलिस की वर्दी पहनकर लूटने के आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया। लुटेरों की पहचान राजाजी नगर के हेमंत (22), वड्डरपाल्या के मनोज (28), मुडलपाल्या के लोकेश (34) और सुंकदाकट्टे के आर. चेतन (24) के रूप में हुई है।
बेंगलूरु. मादा नायकनाहल्ली पुलिस ने मंदिर जाने वाले भक्तों को पुलिस की वर्दी पहनकर लूटने के आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया। लुटेरों की पहचान राजाजी नगर के हेमंत (22), वड्डरपाल्या के मनोज (28), मुडलपाल्या के लोकेश (34) और सुंकदाकट्टे के आर. चेतन (24) के रूप में हुई है।
पुलिस ने बताया कि लुटेरों ने एक किराए की कार पर लालबत्ती और पुलिस का लोगो लगाया हुआ था। वह मागड़ी रोड, कामाक्षीपाल्या और अन्य प्राचीन मंदिरों को पूजा के लिए आने वाले लोगों पर चोरी-डकैती का आरोप लगाकर उन्हें पूछताछ के बहाने अज्ञात स्थान पर ले जाकर लूटते थे। राम नगर पुलिस ने लूटेरों को पकडऩे के लिए एक विशेष दल बनाया। दल ने मंदिरो के पास कड़ी निगरानी की। सबसे पहले कांस्टेबल की वर्दी में आए हेमंत को गिरफ्तार किया गया। उसके बाद बाकी तीन लुटेरों को गिरफ्तार किया गया। उनके खिलाफ मागड़ी, बिड़दी, सावनदुर्गा और अन्य पुलिसथानों में 16 से अधिक मामले दर्ज हंै।