संक्रमित होने का जोखिम ज्यादा
हालांकि, गर्भावस्था में वैक्सीन के प्रभाव और सुरक्षा को लेकर फिलहाल कोई आंकड़ा मौजूद नहीं है। वैक्सीन के गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक होने का कोई सबूत भी नहीं मिला है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने अपने दिशा-निर्देर्शों में कहा है कि आम महिलाओं की तुलना में गर्भवती महिलाओं के वायरस से संक्रमित होने का जोखिम ज्यादा होता है। संक्रमण के कारण के चलते प्री-मैच्योर बच्चे के जन्म का खतरा भी बढ़ जाता है। वैक्सीन का गर्भवती महिलाओं पर ट्रायल अभी शुरू नहीं हुआ है। अगर महामारी का दौर नहीं भी हो तब भी जब कोई नई वैक्सीन आती है तो भी शुरुआती दौर के ट्रायल में गर्भवती महिलाओं को शामिल नहीं किया जाता है।
चिकित्सक की सलाह लें
कुछ चिकित्सकों का कहना है कि अगर कोई गर्भवती महिला को कोविड के चपेट में आने की आशंका ज्यादा है तो वह अपने चिकित्सक से बात करके वैक्सीन ले सकती हैं।
टीके के बाद दो माह तक गर्भधारण से बचें
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सौम्या लक्ष्मी टी. वी. ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को अगर कोरोना वायरस संक्रमण होता है तो उनके गर्भ में पल रहे बच्चे के भी संक्रमित होने का खतरा बढ़ा जाता है। कोरोना टीका लगवाने के करीब दो माह तक गर्भधारण से बचना चाहिए। वैक्सीन जिनमें निष्क्रिय वायरस होते हैं उन्हें गर्भावस्था के दौरान लगाया जा सकता है। लेकिन, लाइव वायरस वाले टीके गर्भवती महिलाओं के लिए प्रस्तावित नहीं है। आरएनए तकनीक से बने टीके गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित माने गए हैं। इसका प्रतिकूल प्रभाव सभी पर एक समान है। क्लिनिकल ट्रायल डेटा के अभाव में अमरीका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने गर्भवती महिलाओं के लिए कोरोना टीके का समर्थन नहीं किया है।