scriptकर्नाटक : इएसडीएम क्षेत्र में 2050 तक एक करोड़ रोजगार पैदा करने की क्षमता | Karnataka: ESDM sector has the potential to generate 1 crore jobs | Patrika News
बैंगलोर

कर्नाटक : इएसडीएम क्षेत्र में 2050 तक एक करोड़ रोजगार पैदा करने की क्षमता

भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार का आकार 300़ बिलियन अमरीकी डॉलर है और वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में देश की हिस्सेदारी 2012 से लगातार बढ़ रही है

बैंगलोरOct 22, 2021 / 03:46 pm

Nikhil Kumar

कर्नाटक : इएसडीएम क्षेत्र में 2050 तक एक करोड़ रोजगार पैदा करने की क्षमता

कर्नाटक : इएसडीएम क्षेत्र में 2050 तक एक करोड़ रोजगार पैदा करने की क्षमता

बेंगलूरु. सरकार का लक्ष्य कर्नाटक को वह हब बनाना है जिसके चारों ओर भारतीय स्टार्टअप की अगली नस्ल पनप सके। सरकार इंडियन इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सेमीकंडक्टर एसोसिएशन (आइइएसए) के साथ इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिवाइस और विनिर्माण (इएसडीएम) क्षेत्र को बढ़ावा देने सहित नवीन घरेलू कंपनियों का समर्थन करेगी।

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. सी. एन. अश्वथनारायण ने यह बात कही। वे गुरुवार को आइइएसए विजन समिट-2021 के 16वें संस्करण में ‘भारत का त्वरित इएसडीएम विकास-परिभाषित दशकÓ विषय पर एक ऑनलाइन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि भारत में इएसडीएम क्षेत्र जिसका 16.1 फीसदी ( चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर) से विस्तार होने की भविष्यवाणी की गई है, मेक इन इंडिया और आत्म निर्भर भारत पहल को पूरा करने का एक सुनहरा अवसर प्रस्तुत करता है। देश में इएसडीएम क्षेत्र, जिसके 2025 तक 220 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, में 1,000 स्टार्ट-अप, 10,000 बौद्धिक संपदा और 10 लाख नौकरियां पैदा करने की क्षमता है। इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में 2050 तक लगभग एक करोड़ नौकरियां पैदा करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि 17 से 21 नवंबर तक होने वाले बेंंगलूरु टेक समिट में इस क्षेत्र को प्रमुखता देने पर चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि देश के इएसडीएम निर्यात में कर्नाटक की साझीदारी 64 फीसदी है।

उन्होंने कहा कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार का आकार 300़ बिलियन अमरीकी डॉलर है और वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में देश की हिस्सेदारी 2012 से लगातार बढ़ रही है। वर्तमान में, भारत में 100 से अधिक सेमीकंडक्टर डिजाइन सेवा कंपनियां हैं जो अपने वैश्विक ग्राहकों को सेमीकंडक्टर के डिजाइन की पेशकश कर रही हैं। इसे सेमीकंडक्टर्स के डिजाइन और निर्माण में आत्मनिर्भर बनने के लिए अभी और आगे जाने की जरूरत है। इसके लिए भारत सरकार कई नीतिगत पहलों पर काम कर रही है। देश में सिलिकॉन और कंपाउंड सेमीकंडक्टर चिप्स के निर्माण पर जोर दिया जाएगा।

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