रिपोर्ट में कहा गया है कि चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर राज्य सरकार का खर्च कोविड-19 महामारी के पहले कुल व्यय का 5 फीसदी भी नहीं था। वर्ष 2020-2021 में यह बढ़कर 5.2 फीसदी हो गया। खर्च में बढ़ोतरी का मुख्य कारण महामारी के प्रबंधन के लिए बुनियादी ढांचे के विकास पर व्यय है।
वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजटीय अनुमान के मुताबिक इस अवधि में स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय खर्च औसतन कुल खर्च का 5.5 फीसदी होगा। हालांकि, कोविड-19 महामारी के कारण स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय खर्च में तीव्र बढ़ोतरी हुई है फिर भी राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के निर्धारित 8 फीसदी के लक्ष्य से अभी भी बहुत कम है।
देश के 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 21 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं जो राष्ट्रीय औसत से स्वास्थ्य पर अधिक खर्च करते हैं। इनमें एनसीआर दिल्ली का खर्च 14.4 फीसदी है जो सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे अधिक है। वहीं, तेलंगाना का खर्च केवल 2.5 फीसदी है जो सबसे कम है। पंजाब 3.5 फीसदी के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य पर सबसे कम खर्च करने वाले राज्यों में से एक है।
रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार ने महामारी के कारण बुनियादी ढांचे पर बढ़े खर्च को पूरा करने के लिए वर्ष 2020-21 के दौरान 96 हजार करोड़ रुपए उधार लिए। वहीं, वर्ष 2021-22 में 70 हजार करोड़ रुपए से अधिक ऋण लेने का प्रस्ताव है। कोरोना के कारण पैदा हुई परिस्थितियों में जीवन और आजीविका को सपोर्ट करने के लिए राज्य सरकार ने कई उपायों की घोषणा की जिससे राजस्व व्यय में वृद्धि हुई। सरकार ने लगभग 22 हजार करोड़ रुपए के राहत पैकेज की घोषणा की।
रिपोर्ट के मुताबिक राज्य का शिक्षा पर व्यय घटा है। वर्ष 2004-05 में राज्य का शिक्षा पर व्यय 12.7 फीसदी था जो कि 2021-22 में 11.8 फीसदी (अनुमानित) है। वहीं शिक्षा पर राष्ट्रीय खर्च औसतन 13.9 फीसदी है। दिल्ली इसमें भी शीर्ष पर है। दिल्ली सरकार शिक्षा पर 22.8 फीसदी खर्च करती है। तेलंगाना शिक्षा पर सबसे कम 5.9 फीसदी खर्च करता है।