अन्य राज्यों में भी जूझ रही कांग्रेस ऐसा नहीं है कि कांग्रेस के सामने स्थानीय क्षत्रपों की महत्वकांक्षाओं में से किसी एक को चुनने का अवसर पहली बार आया हो, लेकिन राजस्थान और मध्यप्रदेश के इतिहास को देखते हुए कांग्रेस इस बार पूरी तरह फूंक—फूंक कर कदम उठाना चाहती है।
राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट की लड़ाई फिर हुई तेज राजस्थान विधानसभा के वर्ष 2018 में परिणाम आने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर ठन गई थी। बताते हैं कि तब राहुल गांधी ने दोनों से बात कर किसी फार्मूले पर सहमति बनवाई थी। राहुल गांधी ने दोनों के साथ ट्वीटर पर फोटो भी शेयर किया था। मुख्यमंत्री का पद अशोक गहलोत को मिला और सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री का जिम्मा। बाद सचिन पायलट और उनके समर्थक दिल्ली-मानेसर चले गए। कई दिन चले हाईवोल्टेज ड्रामे के बाद राजस्थान कांग्रेस में सत्ता का संघर्ष कुछ दिन के लिए शांत रहा। पर चुनाव नजदीक आते—आते पायलट ने एक बार फिर भ्रष्टाचार और पेपर लीक के मुद्दे को लेकर मोर्चा खोल दिया है। पहले मौन धरना, फिर अजमेर से जयपुर तक पदयात्रा और अब कार्रवाई के लिए अल्टीमेटम दे कर उन्होंने अपने इरादे जता रखे हैं। कांग्रेस आलाकमान के सामने दिसम्बर संभावित विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को एक रखने की चुनौती खड़ी है।
मध्यप्रदेश में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया में रहा विवाद मध्यप्रदेश में भी विधानसभा चुनावों के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस के पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच नेतृत्व को लेकर घमासान मचा। उसमें भी केन्द्रीय नेतृत्व ने सुलझाने का प्रयास किया। लेकिन बाद में सिंधिया अपने समर्थकों के साथ भाजपा में चले गए। नतीजा मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर गई औऱ भाजपा की सरकार बन गई।
छत्तीसगढ़ में रमनसिंह और टीएस सिंह देव में तनातनी छत्तीसगढ़ में भी विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस की सरकार का नेतृत्व करने के लिए भूपेश बघेल और टीएस सिंह देव में घमासान मचा। आलाकमान ने भूपेश बघेल को चुना। दोनों के बीच जमी बर्फ पिघली नहीं है। समय—समय पर बयानों से छतीसगढ़ कांग्रेस की चाय की प्याली में उफान आता रहता है। कांग्रेस आलाकमान के सामने यहां भी दोनों को एक साथ रखने की चुनौती है।
पंजाब और हिमाचल में भी है क्षत्रपों की लड़ाई इससे पहले पंजाब में स्थानीय गुटबाजी के चलते कांग्रेस ने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को हटाकर चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया। इससे पहले सुखजिंदर सिहं रंधावा का नाम भी मुख्यमंत्री के लिए चला था। लेकिन चुनाव परिणामों में कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी और आम आदमी पार्टी ने अपना परचम लहरा दिया था। इसके बाद से ही कांग्रेस को पंजाब में भी सभी को एक रखने में दम लगाना पड़ रहा है। रंधावा को तो अब राजस्थान प्रभारी के रूप में वहां का विवाद सुलटाने का जिम्मा भी दिया गया है। हिमाचल में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनने के बाद कांग्रेस के नेता सुखविंदर सिहं सुक्खू और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभासिंह में मुख्यमंत्री के पद को लेकर घमासान हुआ। आलाकमान ने सुखविंदर सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री का जिम्मा सौंपा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों में तनातनी की स्थिति है और पार्टी को दोनों में तालमेल बनाए रखने के लिए खासी कसरत करनी पड़ रही है।