डॉ. पाटिल ने बताया कि महिला करीब साढ़े आठ माह की गर्भवती थी और सोमवार सुबह करीब तीन बजे अस्पताल पहुंची थी। चिकित्सकों ने महिला की जांच की और पाया कि गर्भ में ही शिशु की मौत हो चुकी है। गर्भ में भ्रूण के हृदय की धड़कन बंद हो चुकी थी। चिकित्सकों ने मरीज और परजिनों को मामले की जानकारी दी लेकिन वे दूसरी राय के लिए वाणी विलास अस्पताल चले गए और सुबह करीब नौ बजे वापस के. सी. जनरल अस्पताल पहुंचे। चिकित्सकों ने प्रसव कराया। बाल रोग विशेषज्ञों ने प्रसव के दो दिन पहले ही गर्भस्थ शिशु के मौत की संभावना जताई है।
यह है मामला
महिला के अनुसार सोमवार सुबह करीब दो बजे वह के. सी. जनरल सरकारी अस्पताल पहुंची लेकिन चिकित्सकों ने बताया कि गर्भ में ही बच्चे की मौत हो चुकी है। उसे भरोसा नहीं हुआ तो यहां से वह विक्टोरिया अस्पताल पहुंची लेकिन कोविड अस्पताल होने के कारण उसे लौटा दिया गया। बिस्तर नहीं होने के कारण वाणी विलास सरकारी अस्पताल में भी जगह नहीं मिली। इसके बाद वह श्रीरामपुर सरकारी मैटरनिटी अस्पताल पहुंची लेकिन यहां से भी चिकित्सकों ने उसे के. सी. जनरल अस्पताल भेज दिया। भटकते-भटकते वह सोमवार सुबह करीब नौ बजे वापस के. सी. जनरल अस्पताल पहुंची। महिला की मां ने बताया कि अस्पताल पहुंचने पर ऑटों में घंटों इंतजार करना पड़ा। इस बीच प्रसव पीड़ा से तड़पती महिला ने ऑटो में ही बच्चे को जन्म दिया।
के.सी. जनरल सरकारी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वेंकेटेशय्या ने आरोपों का खरिज करते हुए बताया था कि महिला के अस्पताल पहुंचने पर प्रारंभिक जांच में पता चला कि शिशु की कुछ दिनों पहले गर्भ में ही मौत हो चुकी है। प्रसव के दौरान मृत्यु नहीं हुई। स्त्री रोग विशेषज्ञों ने परिजनों को जानकारी दी लेकिन परिजनों को भरोसा नहीं हुआ और दूसरी राय के लिए वे किसी और अस्पताल चले गए। जब तक महिला लौटी तब तक छह घंटे की देरी हो चुकी थी। महिला प्रसव के दूसरे से तीसरे चरण में थी इसलिए प्रसव वार्ड के बाहर चिकित्सकों की देखरेख में ऑटो में ही प्रसव करवाया गया। जिसके बाद महिला को अस्पताल में भर्ती किया गया।