गृहमंत्री ने स्वीकार किया कि बेरोजगारी एक ज्वलंत मुद्दा है और युवा सिर्फ 5 हजार रुपए प्रति माह तक की नौकरी करने पर मजबूर हो रहे हैं। ऐसे में ‘अग्निपथ’ योजना से लाखों उम्मीदवारों को लाभ होगा। सैन्य सेवा के बाद उन्हें पुलिस और सुरक्षा प्रतिष्ठानों में सेवाओं के लिए चुना जा सकता है। लोग क्यों विरोध कर रहे हैं उन्हें समझ में नहीं आता।
उन्होंने कहा कि समाज में कुछ वर्ग ऐसे हैं जो किसी भी परिवर्तन की अनुमति नहीं देंगे। अग्निपथ एक नई योजना है जिसकी घोषणा केंद्र ने ही की है। इसे लागू भी नहीं किया गया है। यह एक बहुत अच्छी योजना है। इजरायल जैसे देशों में, युवाओं के लिए सैन्य प्रशिक्षण अनिवार्य है।
उन्होंने कहा कि यहां सरकार 30-40 हजार रुपए के वेतन के साथ चार साल के लिए सैन्य प्रशिक्षण देना चाहती है। उसके बाद उन्हें 12-13 लाख रुपए की एकमुश्त राशि दी जाएगी। उनमें से 25 प्रतिशत को सेना में रखा जाएगा। फिर भी इसका विरोध हो रहा है।
ज्ञानेंद्र ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें चल रहे विरोध प्रदर्शनों के पीछे ‘ताकतों’ का पता लगा रही हैं। अचानक, लोग सड़कों पर उतर आए और चीजों को आग लगाना शुरू कर दिया। वे एक मुखौटा पहनते हैं। यह एक साजिश है।
अग्निपथ योजना के खिलाफ देश के विभिन्न हिस्सों में हिंसा पर मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा, राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रभावी उपाय किए गए हैं। डीजीपी, एडीजीपी, बेंगलूरु पुलिस आयुक्त और गृह सचिव के साथ एक दिन पहले बैठक की और उन्हें किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए कड़े एहतियाती कदम उठाने का निर्देश दिया है।