नीति आयोग (Niti Aayog) के इस प्रस्ताव को उप मुख्यमंत्री व चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. अश्वथ नारायण ने मान लिया है। उन्होंने कहा कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों को बेहतर बनाना अकेले सरकार के बूते से बाहर है। बिस्तरों और चिकित्सकों की कमी से लेकर ढांचागत समस्याएं हैं। पीपीपी मॉडल अपना इन समस्याओं से निपटा जा सकता है। यह समय की मांग भी है। इच्छुक निजी कंपनियों के साथ सरकार 60 वर्ष का अनुबंध करेगी। हालांकि फंड के बंटवारे को लेकर निर्णय होना बाकी है।
डॉ. अश्वथ नारायण ने बताया कि प्रदेश में 19 सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं। चार नए कॉलेज बनने हैं। अधिक विकास की गुंजाइश है। जो पीपीपी मॉडल से संभव है। उदाहरण के लिए 100 से 200 बिस्तर वाले सरकारी अस्पतालों को पीपीपी मॉडल से 600-700 बिस्तर वाले अस्पतालों में बदला जा सकता है। बिस्तरों के साथ उपचार की गुणवत्ता भी बढ़ेगी।