75 फीसदी मरीज प्रभावित
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कोविड के बाद सामने आने वाली विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए सभी देशों को जल्द से जल्द पुनर्वास केंद्र स्थापित करने का सुझाव दिया है। कोविड के जो गंभीर मरीज स्वस्थ हुए हैं उनमें से करीब 75 फीसदी मरीज तनाव, घबराहट, सांस लेने में तकलीफ, थकावट, जोड़ों में दर्द, चक्कर आना, अनिद्रा, पल्मनरी फाइब्रोसिस (फेफड़ों की ऑक्सीजन लेने की क्षमता में कमी), सांस लेने में तकलीफ और छाती में दर्द (Stress, nervousness, shortness of breath, tiredness, joint pain, dizziness, insomnia, pulmonary fibrosis, chest pain and heart) सहित हृदय की समस्याओं से ग्रसित हुए हैं। सांस की तकलीफ मुख्य शिकायत है।
पल्मोनोलॉजिस्ट, फिजिशियन और मनोचिकित्सक की उपस्थिति अनिवार्य हो
कोविड-19 टास्क फोर्स समीति के सदस्य डॉ. सी. एन. मंजुनाथ ने कहा कि कोविड के बाद भी अस्पताल पहुंचने वालों में वैसे मरीज ज्यादा हैं जिनका आइसीयू में उपचार हुआ था। ऐसे मरीजों के लिए पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट, वॉकिंग टेस्ट और धमनियों में थक्कों की पहचान के लिए बी-डीमर जांच जरूरी है। उपचार के लिए कोविड पुनर्वास केंद्र बेहतर होंगे। हर केंद्र में पल्मोनोलॉजिस्ट, फिजिशियन और मनोचिकित्सक (Pulmonologist, Physician and Psychiatrist ) की उपस्थिति अनिवार्य हो।
विशेषज्ञों के अनुसार जिस मरीज में कोविड का संक्रमण जितना अधिक होता है, उतने ज्यादा लक्षण उसमें ठीक होने के बाद देखने को मिलते हैं। हालांकि, कोविड के हल्के-फुल्के संक्रमण वाले लोगों को भी बाद में कमजोरी महसूस हो रही है।