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आईटी-बीटी कंपनियों में भी कन्नडिगाओं को आरक्षण देेने की तैयारी

locationबैंगलोरPublished: Dec 15, 2019 09:00:10 pm

Submitted by:

Rajeev Mishra

विधानमंडल के आगामी सत्र में विधेयक लाएगी सरकार, निजी कंपनियों में स्थानीय लोगों को मिलेगी प्राथमिकता

आईटी-बीटी कंपनियों में भी कन्नडिगाओं को आरक्षण देेने की तैयारी

आईटी-बीटी कंपनियों में भी कन्नडिगाओं को आरक्षण देेने की तैयारी

बेंगलूरु.

निजी क्षेत्र की कंपनियों को ग्रुप ‘सी’ एवं गु्रप ‘डी’ श्रेणी की नौकिरयों में कन्नडिगाओं को प्राथमिकता देेने संबंधी एडवाइजरी भेजने के बाद राज्य सरकार अब ऐसा कानून बनाने जा रही है जिससे स्थानीय निवासियों के लिए 50 से 75 फीसदी आरक्षण मिल सके। दरअसल, बीएस येडियूरप्पा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार विधानमंडल के अगले सत्र में आईटी-बीटी सहित निजी कंपनियों में स्थानीय कन्नडिगाओं को आरक्षण देने के लिए विधेयक लाने की तैयारी कर रही है। श्रम मंत्री एस.सुरेश कुमार ने कहा कि विधेयक का मसौदा तैयार किया जा रहा है। इस आरक्षण का लाभ उन युवाओं को मिलेगा जिन्हे कन्नड़ का अच्छा ज्ञान है और जो कम से कम 15 साल से कर्नाटक में रह रहे हैं। यह विधेयक आगामी 20 जनवरी से शुरू हो रहे विधानमंडल के सत्र के दौरान पेश किया जाएगा।
श्रम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि हाल ही में कन्नडिगा शब्द को परिभाषित करने के लिए नियमों में कुछ संशोधन किए गए और निजी कंपनियों को कन्नडिगाओं को शत-प्रतिशत प्राथमिकता देने संबंधी अधिसूचना जारी की गई। लेकिन, यह उन्हें ऐसा करने के लिए बाध्य नहीं करता। प्रस्तावित कानून कंपनियों को इसे मानने के लिए बाध्य करेगा और उन्हें ठेके पर लिए गए श्रमिकों सहित कामगारों के बारे में पूरी रिपोर्ट सरकार को देनी होगी। हालांकि, ऐसा करने वाला कर्नाटक देश का पहला राज्य नहीं है। आंध्र प्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने निजी कंपनियों और उद्योगों में स्थानीय लोगों के लिए 75 फीसदी का कोटा तय किया। जुलाई महीने में मध्यप्रदेश सरकार ने भी कहा था कि निजी कंपनियों में स्थानीय लोगों के लिए 70 फीसदी आरक्षण तय करने पर विचार हो रहा है। महाराष्ट्र और गोवा की सरकारों की भी योजना 80 फीसदी कोटा तय करने की है। अधिकारियों का कहना है कि जो भी कंपनियां इस आरक्षण व्यवस्था को लागू नहीं करेंगी उन्हें सरकार की ओर से भूमि, सब्सिडी या अन्य प्रोत्साहन जैसी सरकारी सुविधाएं नहीं मिलेंगी।
हालांकि, अधिकारियों की चिंता इस दायरे में आईटी-बीटी कंपनियों को लाने को लेकर है। अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए एक व्यापक योजना तैयार की जा रही है जिसके तहत आईटी-बीटी कंपनियों को स्थानीय प्रतिभा को प्रशिक्षित करने के लिए समय-सीमा देेने का विकल्प होगा। सबसे प्रमुख मुद्दा आरक्षण की सीमा तय करने को लेकर है। सुरेश कुमार ने कहा कि अधिकारी इस पर काम कर रहे हैं और कानून विभाग के परामर्श से इसपर अंतिम फैसला किया जाएगा। जब सिद्धरामय्या के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार सत्ता में थी तब उसने ग्रुप सी और गु्रप डी के लिए 100 फीसदी नौकरियां आरक्षित करने की बात कही थी। लेकिन, विधि विभाग ने कहा कि यह धारा 14 के प्रावधानों का उल्लंघन होगा। एक अधिकारी ने कहा कि ‘हम ऐसा कानून नहीं लाना चाहते जो कानूनी पचड़े में उलझ जाए। हम एक उचित विधेयक लेकर आना चाहते हैं। सामान्य रूप से 50 फीसदी आरक्षण तय करने में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए।Ó उद्योग जगत के विशेषज्ञों का कहना है कि 50 फीसदी से अधिक आरक्षण से नए निवेश पर असर पड़ेगा। इससे रोजगार के अवसर घटेंगे और आर्थिक विकास दर भी गिरेगी।
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