हाइकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश अभय एस.ओक की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने भाजपा की ओर से पेश हुए वकील से कहा ‘यह बहुत साहसिक बयान है कि इस पार्टी ने कोई रोड शो या सभा नहीं की। यह सरासर गलत है। बेहतर होगा आप ही इसे सुधारें। ऐसे आयोजनों के फोटोग्राफ उपलब्ध हैं।’
मुख्य न्यायाधीश ने वकील से कहा ‘आप उचित निर्देश लें। अन्यथा यह शपथ लेकर गलत बयान देना माना जाएगा। क्या आपकी ओर से कोई भी सभा या सार्वजनिक रैली आयोजित नहीं की गई थी? क्या आप अपने बयान को लेकर पूरी तरह गंभीर हैं? हम उम्मीद कर रहे थे कि आप समाज के सामने कुछ उदाहरण रखेंगे। जहां भी रैलियां या सभाएं होंगी वहां आपने कार्यकर्ताओं के लिए कुछ मानदंड तय करेंगे। आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी।’
अदालत के कड़े रुख के बाद भाजपा के वकील ने कहा कि वह हलफनामा वापस लेना चाहते हैं और नया हलफनामा दायर करेंगे। अदालत ने इसकी अनुमति देते हुए एक सप्ताह के भीतर नया हलफनामा दायर करने को कहा। साथ ही पुराने हलफनामे को भी रिकॉर्ड पर रखने का आदेश दिया। अदालत ने कहा ‘हम नया हलफनामा दायर करने की आजादी देते हैं लेकिन, मूल हलफनामा भी रिकॉर्ड पर रहेगा।Ó दरअसल, एक गैर सरकारी संगठन की ओर से राजनीतिक दलों द्वारा कोविड-19 प्रोटोकॉल के उल्लंघन की शिकायत की थी जिसकी सुनवाई अदालत में हो रही थी। अदालत ने सरकार को यह भी आदेश दिया कि वह रिकॉर्ड पर रखे कि 21 फरवरी 2021 को शहर में हुई हुई रैली में मानदंडों का उल्लंघन करने वालो के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई या नहीं। मामले की अगली सुनवाई अब 12 मार्च को होगी।
इससे पहले हाइकोर्ट ने सरकार से पूछा था कि क्या एक रैली के दौरान मास्क नहीं पहनने पर सांसद तेजस्वी सूर्या और अन्य नेताओं के खिलाफ वह कार्रवाई करेगी। साथ ही सभी राजनीतिक दलों को नोटिस जारी कर पूछा था कि क्या वे अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों को सामाजिक दूरी रखने और मास्क पहनने का निर्देश देंगी।