स्वास्थ्य विभाग ने हर जिले के लिए एक नोडल अधिकारी के रूप में एक चिकित्सक की नियुक्ति के निर्देश दिए। जिला स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अधिकारियों को भी इसमें शामिल होने को कहा गया है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को पीने के पानी के स्रोतों की जानकारी जुटाने और उनका परीक्षण करने को कहा गया है। इस वायरस की चपेट में आए लोगों को अस्पताल में भर्ती करना होगा। लक्षणों के आधार पर मरीजों के उपचार के निर्देश दिए गए हैं। डोर-टू-डोर निगरानी के अलावा, कड़ी निगरानी सुनिश्चित करने के लिए आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और ग्राम पंचायत सदस्यों को शामिल करने के लिए कहा गया है।
नोरोवायरस गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बीमारी का कारण बनता है। ये पशुओं के जरिए इंसानों में फैलने वाला वायरस है। जिला प्रशासन ने क्षेत्रीय निगरानी कर्मचारियों को सामुदायिक कुओं और जल स्रोतों की सुरक्षा के निर्देश दिए हैं। क्लोरीन से कीटाणुरहित पेयजल का सेवन करने की सलाह दी गई है।
नोरोवायरस किसी संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने, दूषित भोजन या पानी का सेवन करने, या दूषित सतहों को छूने हो सकता है।