अधिवक्ता अनु चेंगप्पा तथा बेंगलूरु अधिवक्ता संघ (एएबी) ने निजी अस्पतालों में कोरोना वायरस का महंगा इलाज तथा मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने में आ रही परेशानियों को लेकर कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के नाम पत्र लिखकर शिकायत की थी। उच्च न्यायालय ने इन दोनों पत्रों को जनहित याचिका में परिवर्तित किया है।
इस याचिका की सुनवाई कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों से जुड़ी पीठ करेगी।बेंगलूरु अधिवक्ता संघ की ओर से लिखे गए पत्र में राज्य सरकार पर निजी अस्पतालों की ओर से चिकित्सा के नाम पर की जा रही लूट को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया गया है। अधिवक्ता संघ की ओर से लिखे पत्र में कहा गया है कि निजी अस्पताल कोरोना वायरस के मरीजों से अनाप-शनाप शुल्क वसूल रहे हैं।कई निजी अस्पतालों राज्य सरकार द्वारा निर्धारित चिकित्सा शुल्क की अनदेखी कर मनमाना शुल्क वसूल कर रहे हैं। प्राइवेट अस्पतालों में वेंटिलेटर के साथ आइसीयू के लिए प्रति दिन 25 हजार रुपए और वेंटिलेटर के बिना आईसीयू के लिए 20 हजार रुपए वसूले जा रहे हंै।
शहर के सभी वार्ड में फीवर क्लिनिक बेंगलूरु. कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए बृहद बेंगलूरु महानगरपालिका (बीबीएमपी) के सभी 198 वार्डों में स्थित प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों में फीवर क्लिनिक स्थापित करने का फैसला किया गया है।बीबीएमपी के आयुक्त बी.एच. अनिलकुमार के मुताबिक कोरोना वायरस के बुखार, सर्दी, खांसी गले में दर्द जैसे प्राथमिक लक्षण दिखाई देने पर इन केंद्रों में सुबह 10 बजे से लेकर दोपहर एक बजे तक गले के स्वाब का परीक्षण किया जाएगा।
परीक्षण से पहले लोगों को टोकन वितरित किए जाएंगे।शहर के विभिन्न वार्डों में स्थिति बीबीएमपी के 133 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा 6 रेफरल अस्पतालों में यह सुविधा उपलब्ध होगी तथा यह परीक्षण नि:शुल्क होगा।