हाइ कोर्ट ने कहा है कि कोरोना महामारी का प्रसार रोकने के लिए समय-समय पर मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी किए गए हैं। इसी क्रम में गिरफ्तार आरोपी, विचाराधीन कैदी, रिमांड के उद्देश्य से अथवा जमानत पर विचार करने के लिए पारदर्शी विभाजन वाले एक विशेष रूप से डिजाइन किए गए रिमांड कोर्ट की स्थापना गुरुनानक भवन वसंतनगर में की गई है।
हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अभय ओक की अगुवाई वाली पीठ ने 1 जून से अदालतों के आंशिक कामकाज के दौरान उत्पन्न होने वाले विभिन्न कानूनी और तकनीकी मुद्दों के समाधान के लिए उठाए गए मुद्दों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका पर सुनवाई की। पीठ ने सुझाव दिया था कि अदालत परिसर के बाहर एक सार्वजनिक हॉल चिन्हित की जानी चाहिए जहां मजिस्ट्रेट रिमांड मामलों की सुनवाई कर सकें और न्यायिक अधिकारियों और कर्मचारियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सकती है।
अदालत ने कहा है कि जब गिरफ्तार किए गए व्यक्ति अथवा विचाराधीन कैदी को व्यक्तिगत तौर पर सुनवाई के लिए अदालत में पेश करने की आवश्यकता होती है तब नामित मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अथवा, अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट या मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट रिमांड कोर्ट में बैठे होंगे। इसलिए कोविड-19 दिशा निर्देशों के अनुसार सभी सुरक्षा उपायों का ध्यान रखा गया है। इससे सुरक्षित पेशी की सुविधा होगी।