बैंगलोर

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने केएसएलयू को दी परीक्षा की सशर्त अनुमति

खंडपीठ ने कहा, ‘प्रथम दृष्टया हम पाते हैं कि केएसएलयू द्वारा शासित कॉलेजों के छात्र अन्य राज्यों के विश्वविद्यालयों द्वारा शासित छात्रों की तुलना में पूरी तरह से अलग हैं क्योंकि भेदभाव का प्रश्न केवल समानों के बीच हो सकता है।’

बैंगलोरNov 25, 2021 / 04:20 pm

Nikhil Kumar

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने केएसएलयू को दी परीक्षा की सशर्त अनुमति

बेंगलूरु. उच्च न्यायालय ने बुधवार को कर्नाटक राज्य विधि विश्वविद्यालय (केएसएलयू) को स्नातक कानून पाठ्यक्रमों के लिए इस शर्त के साथ परीक्षा आयोजित करने की अनुमति दी कि परिणाम अदालत के अंतिम आदेश के अधीन होंगे।

मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी और यायाधीश सचिन शंकर मगदुम की खंडपीठ ने केएसएलयू द्वारा दायर एक अपील पर अंतरिम आदेश पारित किया। यह अपील एकल न्यायाधीश की पीठ द्वारा 12 नवंबर को पारित एक अंतरिम आदेश को चुनौती देते हुए दायर की गई थी, जिसने 15 नवंबर से होने वाली परीक्षाओं पर रोक लगा दी थी।

खंडपीठ ने कहा, ‘प्रथम दृष्टया हम पाते हैं कि केएसएलयू द्वारा शासित कॉलेजों के छात्र अन्य राज्यों के विश्वविद्यालयों द्वारा शासित छात्रों की तुलना में पूरी तरह से अलग हैं क्योंकि भेदभाव का प्रश्न केवल समानों के बीच हो सकता है।’

याचिकाकर्ता छात्रों ने दलील दी थी कि केएसएलयू के छात्रों के लिए परीक्षा आयोजित करना भेदभाव के समान है क्योंकि दूसरे राज्य में विश्वविद्यालयों के कानून के छात्रों को परीक्षा आयोजित किए बिना पदोन्नत किया जा रहा था। एकल पीठ ने परीक्षा पर रोक लगा दी थी।

एकल पीठ ने पाया था कि केएसएलयू ने कोरोना महामारी के मद्देनजर परीक्षा आयोजित किए बिना छात्रों को पदोन्नत देने के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी निर्देशों के विपरीत परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया था।

केएसएलयू ने तर्क दिया था कि छात्रों को पदोन्नत करने और डिग्री देने के लिए परीक्षा आयोजित करना अनिवार्य है अन्यथा बार काउंसिल इंडिया उनकी डिग्री को मान्यता नहीं देगा।

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