कोरोना: स्वास्थ्य विभाग के साथ आइएस अधिकारियों ने मिलाया कदम-ताल
अभूतपूर्व कोरोना महामारी से निपटने के लिए बनी कारगर रणनीति
Coronavirus: Why Coronavirus spreads despite non-food ban?
बेंगलूरु.
कोरोना महामारी के साथ वायरस का प्रसार रोकने के लिए सरकार के समक्ष अभूतपूर्व चुनौती पेश आई है। इससे निपटने के लिए जहां बड़े पैमाने पर तैयारियों की जरूरत थी वहीं, क्षमता निर्माण और रणनीतियों के कार्यान्वयन का मोर्चा संभालना था। राज्य सरकार ने तत्परता के साथ अधिकांश आइएएस अधिकारियों को इस काम में लगाकर इस महामारी के खिलाफ अब तक कारगर लड़ाई लड़ी है।
दरअसल, सरकार ने सटीक रणनीति के तहत आइएएस अधिकारियों को नोडल ऑफिसर नियुक्त कर उन्हें कोरोनो वायरस के खतरे से निपटने के लिए रणनीतिक मोर्चा संभालने को कहा। इससे स्वास्थ्य विभाग, डॉक्टरों, विशेषज्ञों की टीम रोगियों के इलाज तथा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने व अनुसंधान आदि पर ध्यान केंद्रित करने लगी। मुख्य सचिव टीएम विजय भास्कर ने 9 आइएएस अधिकारियों को नोडल अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया वहीं, श्रम तथा महिला और बाल विकास जैसे विभागों से भी कर्मियों को इस मिशन पर लगाया। महिला एवं बाल विकास के कर्मियों को प्रवासी मजदूरों और जिन्हें खाना नहीं मिल रहा उनकी समुचित देखभाल की जिम्मेदारी दी गई।
आइएएस अधिकारियों ने संभाला मोर्चा
एक तरफ जहां मुख्यमंत्री बीएस येडियूरप्पा द्वारा गठित राज्य स्तरीय टास्क फोर्स स्वास्थ्य मंत्री बी. श्रीरामुलु और चिकित्सा शिक्षा मंत्री के.सुधाकर के बीच अंदरुनी मतभेदों के कारण शिथिल रहा वहीं आईएएस अधिकारियों की टीम ने कोविड-19 से मुकाबले के लिए रणनीतिक मोर्चा संभाल ली। टास्क फोर्स का नेतृत्व श्रीरामुलु कर रहे हैं और इसमें चिकित्सा शिक्षा मंत्री, गृह मंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री शामिल हैं। राज्य के मुख्य सचिव टीएम विजय भास्कर ने कहा कि कोविड-19 से उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए मुख्यमंत्री की सलाह पर आइएएस अधिकारियों को तत्काल कार्यभार संभालने और अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं स्वास्थ्य सचिव के निर्देशन में काम करने की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई।
10 में 9 नोडल अधिकारी आइएएस
स्वास्थ्य सचिव जावेद अख्तर ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में एक राज्य-स्तरीय टास्क फोर्स या कैबिनेट उप-समिति गठित की गई है वहीं, बेहतर समन्वय और योजनाओं के सावधानीपूर्वक कार्यान्वयन के लिए कई आइएएस अधिकारियों को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया। उदाहरण के लिए आकस्मिक योजनाओं के प्रभारी अधिकारी हैं तो जिलों के साथ समन्वय स्थापित करने और रसद के लिए भी अधिकारी हैं जो स्वास्थ्य सचिव को रिपोर्ट करते हैं। स्वास्थ्य सचिव को रिपोर्ट करने वाले 10 नोडल अधिकारियों में एकमात्र चिकित्सा अधिकारी डॉ सीएन मंजुनाथ हैं जो जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवास्कुलर साइंसेज के पूर्व निदेशक हैं। मंजुनाथ परीक्षण प्रयोगशालाओं के नेटवर्क विस्तार सुविधा के प्रभारी हैं।
आइएएस अधिकारियों से कारगर हुई लड़ाई
मार्च महीने के आरंभ में जब कुछ कोरोनो वायरस के मामले सामने आए तो स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने ही उनका पता लगाया और निगरानी की। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि जैसे-जैसे मामले बढ़ते गए काम का बोझ बढऩे लगा। यह सिर्फ स्वास्थ्य और निगरानी विभाग के वश की बात नहीं रही। नोडल अधिकारियों की नियुक्ति से भार कम हुआ। सामुदायिक निगरानी, संदिग्धों के संपर्क में आने वालों का पता लगाने, उन्हें पृथक निगरानी में भेजने आदि का जिम्मा अब आइएएस अधिकारियों की टीम संभाल रही है। डॉक्टर अरुंधती चंद्रशेखर 20 लोगों की टीम के साथ निगरानी करने वाले अधिकारियों और स्वास्थ्य विभाग के बीच समन्वय कर रही हैं। इससे स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टरों की तैनाती आसान हुई और रोग के प्रसार को रोकने के लिए रोगियों और उनके संपर्कों के विशिष्ट समूहों पर ध्यान केंद्रीत किया जा सका।
सबको दी गई अलग-अलग जिम्मेदारियां
आइएएस अधिकारी गौरव गुप्ता को वेंटिलेटर, टेस्टिंग किट, पीपीई आदि की खरीद और उत्पादन का प्रभार दिया गया है। मीना नागराज राज्य के सभी प्रवेश बिंदुओं की निगरानी का प्रभार संभाल रही हैं। पीसी जाफर क्षमता निर्माण के प्रभारी हैं। गंगाराम बडेरिया को कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए विशेष अस्पताल तैयार करने का काम सौंपा गया है। टी.के.अनिल कुमार आकस्मिक योजनाओं के प्रभारी हैं। डॉ ई.वी. रमना रेड्डी आईटी कंपनियों के साथ सहयोग स्थापित करने का प्रभार संभाल रहे हैं। सी.शिखा संचार रणनीतियों की प्रभारी हैं और मुनीष मोदगिल कोविड-19 का प्रसार रोकने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग के प्रभारी हैं।
हर रोज होती हैं दर्जनों बैठकें
आइएएसआर और केंद्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरणों द्वारा पारित नीतियों को लागू करने के लिए ये आइएएस अधिकारी राज्य के 27 जिलों के जिला मजिस्ट्रेट और स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ हर रोज वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए दर्जनों बैठकें करते हैं। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के राज्य निदेशक डॉ ओम प्रकाश पाटिल की अध्यक्षता में एक अलग विशेषज्ञ समिति का गठन भी किया गया है और उन्हें वायरस के चिकित्सकीय पहलुओं पर स्वास्थ्य आयुक्त और सचिव को रिपोर्ट करने के लिए कहा गया है। एक समय कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या के मामले में राज्य देश में दूसरे स्थान पर था लेकिन, इन तमाम प्रयासों का नतीजा है कि इसे काफी हद तक नियंत्रित किया जा सका है।
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