महामारी रोग विशेषज्ञों का कहना है कि 65 से 80 फीसदी पॉजिटिव मामलों में ही एंटीबॉडी बनते हैं। ऐसे में शहर में सीरोप्रीवैलेंस स्कोर का 77 फीसदी होना दर्शाता है कि असल में इससे भी ज्यादा लोग संक्रमित होकर कोरोना वायरस को मात दे चुके हैं। ऐसे में कोरोना की तीसरी लहर की संभावना कम है। बशर्ते वायरस के नए वेरिएंट्स सामने नहीं आएं।
सर्वे में कुल 2,000 लोगों को शामिल किया गया है। इनमें बिना टीकाकरण वाले 1,000 लोग हैं। 30 फीसदी लोगों की उम्र 18 वर्ष से कम है जबकि 50 फीसदी लोग 18 से 44 आयु वर्ग के हैं। करीब 20 फीसदी लोगों की उम्र 45 वर्ष से ज्यादा है। नमूना समूह में विभिन्न सामाजिक-आर्थिक समूहों के शहर भर के निवासी शामिल हैं।
बीबीएमपी के विशेष आयुक्त (स्वास्थ्य) डी. रणदीप ने बताया कि सीरो सर्वेक्षण का उद्देश्य एंटीबॉडी उत्पन्न करने में टीकाकरण की प्रभावशीलता का निर्धारण करना और यह पता लगाना है कि कि बिना टीकाकरण करने वाले कितने लोगों में एंटीबॉडी मौजूद है।
प्रारंभिक निष्कर्षों से पता चलता है कि टीकाकरण एंटीबॉडी बना रहा है। नमूनों की संख्या कम होने के बावजद उच्च सीरोप्रीवैलेंस स्कोर यह भी बताता है कि शहर की आबादी का एक बड़ा प्रतिशत दूसरी लहर के दौरान संक्रमित हुआ।
बीबीएमपी के मुख्य आयुक्त गौरव गुप्ता ने बताया कि बीते 50 दिनों में शहर में नए कोविड मरीज करीब 19 फीसदी कम हुए हैं। अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या में भी करीब 36 फीसदी की गिरावट आई है। मतलब साफ है कि कई लोग संक्रमित हुए और खुद स्वस्थ भी हो गए।