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टीकाकरण की भनक लगते ही भाग जाते थे जंगल

locationबैंगलोरPublished: Oct 22, 2021 11:21:59 am

Submitted by:

Nikhil Kumar

– आसान नहीं था छह आदिवासी बस्तियों में अभियान

टीकाकरण की भनक लगते ही भाग जाते थे जंगल

बेंगलूरु. कर्नाटक के विराजपेट तालुक में बिखरी हुई छह आदिवासी बस्तियों तक पहुंच लोगों को टीकाकरण के लिए मनाना आसान नहीं था। स्वास्थ्यकर्मियों को देखते ही लोग भाग निकलते थे। कई बार विरोध का सामना भी करना पड़ा। लेकिन दल ने हार नहीं मानी। अथक प्रयासों का ही नतीजा है कि इन बस्तियों में रह रहे 739 लोगों में से 726 लोग कोरोना टीके की पहली खुराक ले चुके हैं जबकि 348 लोगों ने दोनों खुराक ली है।

इसका श्रेय जाता है 51 वर्षीय चिकित्सा अधिकारी डॉ. शिवप्पा एस. जी. और उनकी टीम को। उन्होंने ने बताया कि टीकाकरण दल में आशा कार्यकर्ताओं सहित कुछ नर्स भी शामिल थीं। सभी ने जंगल, कच्चे रास्ते व पहाडिय़ों से होते हुए इन बस्तियों के कई चक्कर लगाए। कई किलोमीटर पैदल भी चलना पड़ा। ज्यादातर लोग टीकाकरण नहीं कराना चाहते थे। टीम के आने की भनक लगते ही जंगल में भाग जाते थे। कई बार स्वास्थ्यकर्मी घंटों इनके घरों के बाहर इनके लौटने का इंतजार करते थे। तभी भी लोग टीकाकरण से हिचकते थे। कई प्रयासों के बाद लोग धीरे-धीरे राजी होने लगे। क्षेत्रीय नेताओं, पुलिस, आंगनवाड़ी शिक्षकों और ग्राम पंचायत के सदस्यों ने भी लोगों को राजी करने में अहम भूमिका निभाई।

देश ने गुरुवार को 100 करोड़ खुराकें देने का लक्ष्य हासिल कर लिया। इस जश्न के दौरान भी डॉ. शिवप्पा व उनकी टीम आदिवासी बस्तियों के लोगों को टीकाकरण के लिए राजी करने की योजनाओं पर मंथन कर रही थी। 13 लोगों का टीकाकरण शेष है। उन्हें उम्मीद है कि ये लोग भी मान जाएंगे और 100 फीसदी टीकाकरण का लक्ष्य हासिल होगा।

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