मौजूदा हालात में भाजपा के सरकार गिराने की कोशिश करने अथवा असंतष्टों के लामबंद होकर सरकार के लिए खतरा बनने की संभावना नहीं है। साथ ही असंतुष्ट विधायकों के पाला बदलने की संभावना नहीं है।
इसीलिए दोनों दलों के नेता फिलहाल यथास्थिति बनाए रखने के पक्षधर बताए जाते हैं। हालांकि, अब भी इस बात की संभावना है कि दिसम्बर के अंत अथवा जनवरी की शुरूआत में पार्टी मंत्रिमंडल विस्तार के बारे में निर्णय कर सकती है।
जानकारों का कहना है कि अब शायद लोकसभा चुनाव के बाद ही प्रतीक्षारत नेताओं को मंत्री बनने का मौका मिल सकेगा। दिसम्बर में महीने में बेलगावी में विधानमंडल का शीतकालीन अधिवेशन होना है और उसके बाद बजट की तैयारियां शुरू हो जाएगी।
बजट अधिवेशन के बाद लोकसभा चुनाव का समय आ जाएगा इसलिए तब तक मंत्रिमंडल विस्तार और सरकारी निगम-मंडलों में नियुक्तियों की संभावना नगण्य है।