मौजूदा हालातों को देखते हुए इन तीनों दवाओं का स्टॉक करीब एक माह के लिए पर्याप्त है। चिकित्सकों का कहना है कि निकट भविष्य में अस्पताल में भर्ती होने वाले कोविड के मरीजों की संख्या बढ़ती है तो इन दवाओं की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ेगी।
खरीदने का आदेश जारी
कर्नाटक राज्य चिकित्सा आपूर्ति निगम लिमिटेड की प्रबंध निदेशक के. एस. लता कुमारी के अनुसार सभी दवाइयां उपलब्ध हैं। करीब एक माह का स्टॉक है। समस्या का समाधान जल्द होगा। सरकार ने दवा की खरीद का आदेश जारी किया। आगे की प्रक्रिया जारी है। जल्द आपूर्ति की उम्मीद है।
मिथाइलप्रेड्निसोलोन विकल्प
चिकित्सकों का कहना है कि डैक्सामैथासोन की जगह मिथाइल प्रेड्निसोलोन का उपयोग किया जा सकता है। लेकिन, दूसरी लहर के दौरान ऐसी कई दवाओं की किल्लत हुई थी, जो बाजार में आसानी से उपलब्ध होती हैं। इसलिए स्टॉक बढ़ाना चाहिए।
पॉसकोनाजोल का उपयोग ब्लैक फंगस संक्रमण यानी म्यूकोरमाइकोसिस के उपचार में होता है। आम तौर पर कोविड से उबरने के 4 से 12 सप्ताह के बाद लोग इसकी चपेट में आते हैं। कोविड से उबरे पांच फीसदी मरीज भी म्यूकोरमाइकोसिस का शिकार होते हैं , तब भी पॉसकोनाजोल की ज्यादा जरूरत पड़ेगी। दूसरी लहर के दौरान पॉसकोनाजोल की किल्लत हुई थी। इस स्थिति से बचने की जरूरत है।
वाणी विलास सरकारी अस्पताल में संक्रमण नियंत्रण अधिकारी डॉ. असीमा बानू ने बताया कि फिलहाल किसी भी दवा की कोई कमी नहीं है। प्रोटोकॉल के अनुसार कोविड मरीजों का उपचार जारी है।
दवा – जरूरत – उपलब्ध
डेक्सामेथासोन – 11,00000 – 34019
पॉसकोनाजोल – 10,000 – 1209
टोसीलिजुमैब – 6,447 – 700
समाधान की कोशिशें जारी
डैक्सामैथासोन और पॉसकोनाजोल जरूरत के अनुसार बाजार में उपलब्ध नहीं है। सरकार डैक्सामैथासोन की करीब 10 लाख खुराक खरीदेगी। बाजार में पॉसकोनाजोल की कमी होने के बावजूद सरकार स्टॉक बढ़ाने की हर संभव कोशिश कर रही है। मंत्री ने कहा कि टोसीलिजुमैब की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ेगी। सरकार तीसरी लहर से निपटने के लिए तैयार है।
-डॉ. के. सुधाकर, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री