तंबाकू क्विटलाइन सेवा मुख्य रूप से देश के दक्षिणी राज्यों को सवाएं प्रदान करती है। इन राज्य में कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध प्रदेश, तेलंगाना, केरल, पुडुचेरी व एंडमान एंड निकोबार (Karnataka, Tamil Nadu, Andhra Pradesh, Telangana, Kerala, Puducherry and Andaman and Nicobar) शामिल हैं। ज्यादातर कॉल कर्नाटक और तमिलनाडु से आते हैं। कर्नाटक के करीब 29 फीसदी कॉलर परामर्श ले रहे हैं। दो पालियों में 23 प्रशिक्षित परामर्शदाता काम करते हैं। एक-तिहाई कॉलर तंबाकू छोड़ चुके हैं।
आधे से ज्यादा को धुंआ रहित तंबाकू की लत
आधे से ज्यादा कॉलरों को धुंआ रहित तंबाकू की लत है। धुआं रहित तंबाकू का मतलब है तंबाकू के वह प्रकार जो उपयोग के समय जलाए नहीं जाते हैं। भारत में इस श्रेणी में लोकप्रिय उत्पादों में खैनी, गुटखा, जर्दा, तंबाकू के साथ सुपारी, तंबाकू टूथ पाउडर, तंबाकू टूथपेस्ट आदि शामिल हैं। दोहरे तंबाकू उपयोगकर्ताओं की संख्या कम है। करीब 41 फीसदी लोगों ने सिगरेट, बीड़ी या सिगार के इस्तेमाल की बात मानी जबकि करीब 12 फीसदी धुंआ युक्त और धुंआ रहित तंबाकू के आदि हैं।
कॉलरों की औसत उम्र 27 वर्ष
क्विटलाइन सेवा (Tobacco Quit Line Service) की प्रमुख जांचकर्ता डॉ. प्रतिमा मूर्ति ने बताया कि कॉलरों की औसत उम्र 27 वर्ष है। आंकड़े बताते हैं कि युवा कामकाजी वयस्क तंबाकू छोडऩे के लिए अधिक इच्छुक हैं। जिनके लिए क्विटलाइन सेवा काफी नहीं है उन्हें निकटम तंबाकू निषेध क्लिनिक भेजते हैं। 96 फीसदी लोगों ने बताया कि तंबाकू के पैकेटों के माध्यम से उन्हें क्विटलाइन सेवा की जानकारी मिली।
ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवेश अगली योजना
डॉ. मूर्ति के अब तक केवल तंबाकू पैक पर प्रचार किया जाता आ रहा है। लेकिन, कई लोग पढ़ नहीं सकते हैं। इसलिए क्विटलाइन सेवा को प्रचारित करने पर काम जारी है। ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवेश अगली योजना है।
परामर्शदाताओं के अनुसार ज्यादातर युवा नशामुक्ति केंद्रों से संपर्क करने से हिचकिचाते हैं। उन्हें लगता है कि वे नशेड़ी नहीं हैं। क्विटलाइन उन्हें इस तरह की चिंताओं से दूर रखता है। फोन पर उनकी मदद करता है।
इंटरएक्टिव वॉयस रेस्पांस प्रणाली (आइवीआरएस) के आंकड़ों के अनुसार प्रतिदिन करीब 2000 लोग संवाद करने की कोशिश करते हैं। लेकिन, करीब 300 लोगों को ही परामर्श सुविधा उपलब्ध हो पाती है। इसके अलावा परामर्शदाता रोजाना करीब 250 फॉलो-अप कॉल करते हैं।
कोरोना संक्रमण 50 प्रतिशत ज्यादा घातक
चिकित्सकों के अनुसार कोरोना वायरस के कारण भी कई लोग तंबाकू छोडऩा चाहते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भी धूम्रपान करने वालों के लिए कोरोना वायरस 50 प्रतिशत ज्यादा घातक है। तंबाकू, सिगरेट और गुटखा सीधे फेफड़ों को कमजोर करते हैं। रोग-प्रतिरोधक क्षमता घटती है।
मानसिक, सामाजिक व चिकित्सकीय समस्या
चिकित्सकों के अनुसार जिस तरह हर चीज की शुरुआत कहीं न कहीं से होती है, उसी तरह से ड्रग्स की शुरुआत तंबाकू सेवन से होती है। यह मानसिक, सामाजिक व चिकित्सकीय समस्या है। समाज का कोई भी अंग तंबाकू व ड्ऱग्स की लत से अछूता नहीं है। तंबाकू से दूर रह कर अन्य नशीली दवाओं से दूर रहना आसान हो जाता है।
राज्य की स्थिति
– 15 वर्ष की आयु से अधिक की28 फीसदी आबादी तंबाकू का इस्तेमाल करती है। इनमें 39.8 फीसदी पुरुष तथा 16.3 फीसदी महिलाएं शामिल हैं।
– 12 से 15 वर्ष के बच्चे तेजी से धूम्रपान की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
– 15 से 17 वर्ष के किशोरों में करीब नौ फीसदी को तंबाकू के नशे की लत पड़ गई है।
– हर दूसरा पुरुष तंबाकू का उपभोक्ता है।
– हर वर्ष एक लाख की आबादी पर 114 पुरुष और 140 महिलाएं कैंसर का शिकार होती हैं।
– जनसंख्या आधारित कैंसर पंजीकरण के अनुसार राज्य में हर वर्ष एक लाख की आबादी पर 114 पुरुष और 140 महिलाएं कैंसर का शिकार होती हैं।
– (वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण 2010 की रिपोर्ट पर आधारित)