केएआरडी (Karnataka Association of Resident Doctors) की अध्यक्ष डॉ. नम्रता सी. ने मंगलवार को कहा कि केएआरडी बिना विलंब कोविड भत्ता राशि जारी करने की मांग करता है। उन्होंने सरकार पर महामारी के सबसे चुनौतीपूर्ण दिनों में रेजिडेंट चिकित्सकों का इस्तेमाल कर अब भूल जाने का आरोप भी लगाया।
उन्होंने कहा कि रेजिडेंट चिकित्सक प्रति वर्ष 1,19,470 रुपए फीस भर रहे हैं। यह देश के किसी भी सरकारी मेडिकल कॉलेज की तुलना में ज्यादा है। ऊपर सर सरकार स्टाइपेंड (वृत्तिका) के नाम पर महज 45 हजार रुपए का भुगतान करती है। यह राशि देश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों से सबसे कम है। शैक्षणिक वर्ष कोविड ड्यूटी में बीता है। शैक्षणिक गतिविधियां प्रभावित हुईं। रेजिडेंट चिकित्सक चुनी हुई विशिष्टताओं में नैदानिक प्रशिक्षण से भी वंचित रह गए। ऐसे में वे सरकार से शैक्षणिक वर्ष 2020-21 की फीस घटाने की मांग दोहराती हैं। वर्ष 2018-19 के अनुसार शैक्षणिक शुल्क का पुनर्गठन होना चाहिए। यह मांग भी लंबे समय से लंबित है। सरकार जवाब तक देने के लिए तैयार नहीं है।
डॉ. नम्रता ने बताया कि अंतिम वर्ष के एमडी और एमएस के परिणाम आए डेढ़ महीने से अधिक हो गए हैं। अभी भी पोस्टिंग, मेरिट सूची, रिक्तियों, वेतन और बांड के पूरा होने पर स्पष्टता की प्रतीक्षा है। जमीनी स्तर पर काम कर रहे चिकित्सकों की सुरक्षा अभी भी गंभीर मुद्दा है। असुरक्षित माहौल में सेवाएं देना चुनौतीपूर्ण है। केएआरडी सभी सरकारी अस्पतालों में होमगार्ड सुरक्षाकर्मी तैनात करने सहित दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए कानूनी प्रकोष्ठ के गठन की मांग करता है। प्राकोष्ठ स्थापित होने के बाद हमले और अप्रिय घटनाओं से बचने में मदद मिलेगी। न्याय के लिए उन्हें भटकना नहीं पड़ेगा। सभी मामलों की एक जगह सुनवाई हो सकेगी।
उन्होंने आरोप लगाया कि बेंगलूरु मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (बीएमसीआरआइ) में कार्यरत कनिष्ठ रेजिडेंट चिकित्सकों को शुरू से ही वृत्तिका नहीं मिली है।