बुधवार को मैसूरु में जिलाधिकारी कार्यालय में जिला प्रभारी मंत्री एसटी सोमशेखर की अध्यक्षता में हुई बैठक में रोप-वे परियोजना को रद्द करने का निर्णय लिया गया। बैठक के बाद सोमशेखर ने कहा कि विभिन्न विभागों की राय को देखते हुए परियोजना को रद्द करने का निर्णय लिया गया। जिला प्रशासन भी इस परियोजना के पक्ष में नहीं था। धार्मिक स्थल होने के कारण भी परियोजना का विरोध हो रह था।
सोमशेखर ने कहा था कि चामुंडी पहाड़ी और चामुंडेश्वरी मंदिर पवित्र स्थान हैं। ये दोनों स्थान मुख्य रूप से तीर्थ यात्रियों को आकर्षित करते हैं ना कि पर्यटकों को। मंदिर तक पहुंचने के लिए सड़क के साथ ही सीढिय़ां भी हैं। हर साल मंदिर में लाखों श्रद्धालु आते हैं। ऐसे में रोप-वे व्यवहार्य नहीं होगा। मौजूदा सड़क और सीढ़ी मार्ग ही पर्याप्त हैं।
जनप्रतिनिधियों ने किया विरोध
बैठक में जनप्रतिनिधयों ने परियोजना का विरोध किया। चामुंडेश्वरी के जद-एस विधायक जी.टी. देवगौड़ा ने परियोजना का विरोध करते हुए कहा कि रोप-वे की जरूरत नहीं है। देवगौड़ा ने कहा कि पहाड़ी के पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित किया जाना ज्यादा जरूरी है। मैसूरु-कोडुगू से भाजपा के सांसद प्रताप सिम्हा ने परियोजना का विरोध करते हुए कहा कि सरकार ने बजट में इसकी घोषणा की थी मगर इस पर जनता की राय भी ली जानी चाहिए।
2013 में वापस ली थी अनुमति
बैठक में वन विभाग के अधिकारियों ने भी परियोजना का विरोध किया। अधिकारियों ने बताया कि ऐसी परियोजना पहले भी बनाई गई थी। वर्ष 1997 में वन विभाग ने पहली बार ऐसी परियोजना के लिए अनुमति दी थी मगर वर्ष 2013 में परियोजना पर आपत्ति जताते हुए अनुमति वापस ले ली थी। सभी पक्षों की राय सुनने के बाद मंत्री सोमशेखर ने रोप-वे परियोजना को रद्द किए जाने की घोषणा की।
अन्य परियोजनाएं जारी रहेंगी
सोमशेखर ने कहा कि चामुंडी पहाड़ी के आसपास अन्य विकास योजनाएं जारी रहेंगी। सोमशेखर ने कहा कि चामुंडी पहाड़ी तलहटी के पास पांच एकड़ भूमि अवाप्त कर पहाड़ी पर रहने वाले परिवारों को वहां स्थानांतरित किए जाने का प्रस्ताव है। समीक्षा के बाद इसके बारे में निर्णय लिया जाएगा। चामुंडी तलहटी में मकानों के निर्माण का नियमन भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एमएम हिल्स विकास बोर्ड की तर्ज पर विकास गतिविधियों के नियमन के लिए चामुंडी पहाड़ी विकास बोर्ड के गठन का प्रस्ताव है।