1994 : वापस लौटा जनता दल
1994 के चुनाव के समय कांग्रेस केंद्र में थी तो राज्य के मतदाताओं ने जनता दल को सत्ता दी। इस वक्त में कांग्रेस के नेतृत्व में पी वी नरसिम्हा राव की सरकार थी। मतदाताओं ने पुराने रुझान को जारी रखते हुए केंद्र में काबिज पार्टी को सत्ता नहीं दी। जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष एच डी देवेगौड़ा मुख्यमंत्री बने और दो साल बाद देवेगौड़ा प्रधानमंत्री भी बने। इस जनता दल को ११५, भाजपा को ४० और कांगे्रस को ३४ सीटें मिली।
1999 : पूर्ण बहुमत से कांग्रेस को गद्दी
1999 के चुनाव के वक्त केंद्र में भाजपा नीत राजग सरकार थी और राज्य में कांग्रेस की स्थिति कमजोर थी। फिर भी जनता ने परिपाटी जारी रखते हुए कांग्रेस को ही बागडोर सौंप दी। कांग्रेस को १३२ सीटें मिली जबकि राजग को ६३ सीटें मिली। राजग में भाजपा ४४ और जद (यूा) को १८ सीटें मिली थी जबकि जद (ध) को सिर्फ १० सीटें मिली। इस कांग्रेस ने एस एम कृष्णा को मुख्यमंत्री बनाया।
2004 : दूसरी बार खंडित जनादेश
2004 के चुनाव के वक्त केंद्र में कांग्रेस काबिज थी तो खंडित जनादेश में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। हालांकि, कांग्रेस और भाजपा, दोनों ने जद (ध) के साथ गठबंधन कर सत्ता का सुख भोगा। एन धरम सिंह सरकार के पतन के बाद भाजपा के साथ मुख्सयमंत्री पद पर २०-२० महीने के समझौते के साथ जद (ध) के एच डी कुमारस्वामी ने सत्ता संभाली लेकिन भाजपा को २० महीने बाद सत्ता देने से मना कर दिया और फिर सप्ताह भर के लिए भाजपा को सत्ता दी और सरकार गिर गई।
1994 के चुनाव के समय कांग्रेस केंद्र में थी तो राज्य के मतदाताओं ने जनता दल को सत्ता दी। इस वक्त में कांग्रेस के नेतृत्व में पी वी नरसिम्हा राव की सरकार थी। मतदाताओं ने पुराने रुझान को जारी रखते हुए केंद्र में काबिज पार्टी को सत्ता नहीं दी। जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष एच डी देवेगौड़ा मुख्यमंत्री बने और दो साल बाद देवेगौड़ा प्रधानमंत्री भी बने। इस जनता दल को ११५, भाजपा को ४० और कांगे्रस को ३४ सीटें मिली।
1999 : पूर्ण बहुमत से कांग्रेस को गद्दी
1999 के चुनाव के वक्त केंद्र में भाजपा नीत राजग सरकार थी और राज्य में कांग्रेस की स्थिति कमजोर थी। फिर भी जनता ने परिपाटी जारी रखते हुए कांग्रेस को ही बागडोर सौंप दी। कांग्रेस को १३२ सीटें मिली जबकि राजग को ६३ सीटें मिली। राजग में भाजपा ४४ और जद (यूा) को १८ सीटें मिली थी जबकि जद (ध) को सिर्फ १० सीटें मिली। इस कांग्रेस ने एस एम कृष्णा को मुख्यमंत्री बनाया।
2004 : दूसरी बार खंडित जनादेश
2004 के चुनाव के वक्त केंद्र में कांग्रेस काबिज थी तो खंडित जनादेश में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। हालांकि, कांग्रेस और भाजपा, दोनों ने जद (ध) के साथ गठबंधन कर सत्ता का सुख भोगा। एन धरम सिंह सरकार के पतन के बाद भाजपा के साथ मुख्सयमंत्री पद पर २०-२० महीने के समझौते के साथ जद (ध) के एच डी कुमारस्वामी ने सत्ता संभाली लेकिन भाजपा को २० महीने बाद सत्ता देने से मना कर दिया और फिर सप्ताह भर के लिए भाजपा को सत्ता दी और सरकार गिर गई।
2008 : भाजपा की पहली सरकार
जद (ध) की वादाखिलाफी से उपजी सहानुभूति के लहर के कारण इस बार जनता ने भाजपा को पूर्ण बहुमत दिया और उसकी पहली सरकार बनी। 2008 के चुनाव के वक्त केंद्र में कांग्रेस सत्ता में थी। पांच साल में भाजपा ने तीन बार मुख्यमंत्री बदला
2013 : कांग्रेस फिर लौटी
वर्ष 2013 का विधानसभा चुनाव इस रुझान का अपवाद जरुर था। केंद्र में कांगे्रस की सरकार थी और राज्य में भी कांग्रेस ने साधारण बहुमत के साथ सत्ता में वापस की। हालांकि, साल भर बाद ही लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के कारण कांग्रेस की करारी हार हुई और यह रुझान बना रहा कि कर्नाटक और दिल्ली का बागडोर एक पार्टी के हाथ में नहीं रहता।
जद (ध) की वादाखिलाफी से उपजी सहानुभूति के लहर के कारण इस बार जनता ने भाजपा को पूर्ण बहुमत दिया और उसकी पहली सरकार बनी। 2008 के चुनाव के वक्त केंद्र में कांग्रेस सत्ता में थी। पांच साल में भाजपा ने तीन बार मुख्यमंत्री बदला
2013 : कांग्रेस फिर लौटी
वर्ष 2013 का विधानसभा चुनाव इस रुझान का अपवाद जरुर था। केंद्र में कांगे्रस की सरकार थी और राज्य में भी कांग्रेस ने साधारण बहुमत के साथ सत्ता में वापस की। हालांकि, साल भर बाद ही लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के कारण कांग्रेस की करारी हार हुई और यह रुझान बना रहा कि कर्नाटक और दिल्ली का बागडोर एक पार्टी के हाथ में नहीं रहता।